नई दिल्लीः नए किसान बिल को रद्द कराने की मांग को लेकर जहां 25 दिनों से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान बैठे हैं, वहीं अब किसान बिल के समर्थन में कई किसान मैदान में उतर गए हैं. इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद के रामलीला ग्राउंड में किसान बिल के समर्थन में कई किसान उतरे हैं. जिसे लेकर सुरक्षा के लिहाज से जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया है. जानकारी के मुताबिक इस रैली में 400 ट्रैक्टर और ट्राली से किसान मेरठ से गाजियाबाद पहुंचे हैं. ज़्यादातर किसान मेरठ, मुज्जफरनगर, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत, बुलंदशहर से आए हैं.
किसान बिल के समर्थन में उतरे किसान
रामलीला मैदान में स्टेज पर लगाए गए पोस्टर पर लिखा है 'माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के " किसान बिल" का "हिन्द मज़दूर किसान समिति" ह्रदय से समर्थन करती है.' समिति के सदस्यों को कहना है कि किसान बिल को कुछ संशोधन के बाद समर्थन देते हैं. हालांकि स्टेज पर लगे बैनर और किसी भी इश्तहार में संशोधन का ज़िक्र नहीं है, समर्थन में सामने आए किसानों ने मात्र समर्थन करते हैं लिखा है.
केंद्रीय कृषि मंत्री से की मुलाकात
बिल के समर्थन में जुड़े किसानों का प्रतिनिधि मंडल केंद्रीय कृषि मंत्री से बात करके मैदान पर लौटा है. समर्थन कर रहे लोगों का कहना है कि कृषि कानून का विरोध करने वाले किसान नहीं बल्कि बिचौलिए और जमींदार हैं साथ ही किसानों को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है इसलिए वह सच्चाई बताने के लिए दिल्ली जा रहे हैं.
एबीपी न्यूज़ ने की खास बातचीत
मंच पर बैठे समिति के सदस्यों से एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की इस दौरान एक किसान प्यारे मोहर कहते हैं कि "हम 20 हज़ार लोग कृषि कानून के समर्थन में आए हैं. ग्राउंड बड़ा है इसलिए दिख नहीं रहे. हम 20 हज़ार से ज़्यादा लोग हैं, एक हज़ार ट्रैक्टर ट्रॉली हैं. जिनमें हम लोग आए हैं, कल और लोग भी पहुचेंगे."
कुछ संशोधनों की कर रहे मांग
समिति के दूसरे सदस्य कहते हैं कि " हम किसान बिल का समर्थन कुछ संशोधन के साथ करते हैं. जिसमें पानी की सबसे बड़ी समस्या है, हम चाहते हैं कि पानी फ्री हो जाए, छोटा किसान भी ट्यूबवेल लगाने में सक्षम हों." समिति के तीसरे सदस्य विकास कुमार कहते हैं कि "हम चाहते हैं एमएसपी बढ़ाई जाए. एमएसपी लागू ज़रूर की गई है लेकिन उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. यहीं संशोधन चाहिए. मेरे मानना है कि किसान बिल किसानों के फायदे की चीज़ है, जिससे वे अपनी फसल ज़्यादा से ज़्यादा मूल्य में कहीं भी बेच सकते हैं"
सदस्यों का सामूहिक रूप से ये कहना है कि "किसान का पेमेंट एक हफ्ते से देर हो तो वो किसान को ब्याज के बाद वापस मिले, ये सबसे मुख्य मांग है, किसान बिल से दलाली का सिस्टम इससे खत्म होगा."
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