साल 2020 का अंत अब करीब आ गया है. हर कोई अब नए साल का इंतज़ार कर रहा है. कोरोना महामारी के लिए साल 2020 अधिकांश लोगों के लिए अच्छा नहीं रहा है. लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग कई महीनों तक अपने घरों में ही बंद रहे. इसके अलावा, महामारी के दौरान कई लोग पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े. उस दौरान कई लोगों की किसी ना किसी वजह से मौत भी हुई.
साल 2020 में कोरोना की वजह से अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. साल का अंत होने वाला है लेकिन अब भी अधिकांश लोगों की जिंदगियां पटरी पर नहीं लौट पाई है. साथ ही साथ, देश के अधिकतर हिस्सों में भुखमरी भी छायी हुई है.
अन्ना सुरक्षा अभियान के तहत किया गया सर्वे
कोरोना महामारी के बीच गुजरात सरकार ने भुखमरी को ख़त्म के लिए भी कई प्रभावी कदम उठाए हैं. हाल ही में अन्ना सुरक्षा अभियान (गुजरात) के तहत किए 'हंगर वॉच' सर्वे में पता चला है कि 20.6 फीसदी घरों में अनाज ना होने की वजह से खाना नहीं बन सका. वहीं, 21.8 फीसदी घरों में एक वक्त का खाना भी नहीं बन सका. अहमदाबाद, आणंद, भरूच, भावनगर, दाहोद, मोरबी, नर्मदा, पंचमहल और वडोदरा सहित नौ जिलों में ये सर्वे सितंबर और अक्टूबर के महीने में किया गया था.
लॉकडाउन के पांच महीने बाद भी भूख की स्थिति गंभीर
हंगर वॉच सर्वे से पता चला है कि लॉकडाउन ख़त्म होने के पांच महीने बाद भी भूख की स्थिति काफी गंभीर है. वहीं, बड़ी संख्या में घरों (62 फीसदी) में आय घटी है, अनाज (53 फीसदी), दालें (64 फीसदी), सब्जियां (73 फीसदी) और अंडे/मांसाहारी पदार्थों (71 फीसदी), पोषण गुणवत्ता की मात्रा (71 फीसदी) में कमी आई है. इसके अलावा, 45 फीसदी घरों में भोजन खरीदने के लिए पैसे उधार लेने की जरूरत बढ़ी है.
ये भी पढ़ें
AK Vs AK विवाद: कैसी होती है Indian Air Force की यूनिफॉर्म? जानिए
भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की मां के साथ 2.5 करोड़ रुपये की ठगी, प्रॉपर्टी केयर