(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत में बाघों का शिकार करना भले ही अवैध फिर भी मांग बहुत ज्यादा, रिपोर्ट में खुलासा
Hunting Tigers In India Is Illegal: देश में बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते 10 सालों में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. भारत में दुनिया की 70 फीसदी बाघ आबादी है.
Fifty Years of ‘Project Tiger’: भारत में बाघों की संख्या 2006 में 1411 थी, जो 2022 में बढ़कर 3167 हो गई, लेकिन उनकी सुरक्षा की दिशा में अब भी कई चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने की जरूरत है. ‘स्टेटस टाइगर-2022’ रिपोर्ट में यह बात कही गई है. ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के मौके पर जारी आंकड़ों से पता चलता है कि बाघों की संख्या 2006 में 1411, 2010 में 1706, 2014 में 2226, 2018 में 2967 और 2022 में 3167 थी.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जंगलों और उनके वन्यजीवन की रक्षा करते हुए बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की आकांक्षाओं को पूरा करना, मानव-बाघ संघर्ष को कम करना प्रमुख चुनौतियों में शामिल है.’ इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बाघों के आवास पर पड़ने वाले प्रभाव और समय के साथ वनों की गुणवत्ता पर असर पड़ना अन्य बढ़ते खतरे हैं. बाघ के आवास वाले लगभग चार लाख वर्ग किलोमीटर के जंगलों में से केवल एक तिहाई ही अपेक्षाकृत स्वस्थ स्थिति में हैं.
अवैध वन्यजीव कारोबार बाघों के लिए खतरा
अवैध वन्यजीव कारोबार जंगल के सभी जीवों और विशेष रूप से बाघों के लिए एक बड़ा खतरा है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'भले ही शिकार करना अवैध है, लेकिन बाघ की मांग बहुत अधिक है और अपने फायदे के लिए शिकारियों का बाघों को मारना जारी है.’ बाघों की गिनती अलग-अलग राज्यों के वन विभागों के व्यापक प्रयासों का परिणाम है.
‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ (आईबीसीए) की शुरुआत की. आईबीसीए का उद्देश्य बाघ और शेर समेत दुनिया की ‘बिग कैट’ परिवार की सात प्रमुख प्रजातियों की सुरक्षा करना है.
'बाघ जंगल की रक्षा करता है और...'
पीएम मोदी ने ‘अमृत काल का टाइगर विजन’ नाम की एक किताब का विमोचन भी किया, जो अगले 25 सालों में देश में बाघों के संरक्षण के लिए दृष्टिकोण पेश करती है. 'स्टेटस ऑफ टाइगर्स-2022' में अपने संदेश में मोदी ने महाभारत के 'उद्योग पर्व' से एक संस्कृत श्लोक का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है, ‘‘निर्वनो वध्यते व्याघ्रो निर्व्याघ्रं छिद्यते वनम्. तस्माद्व्याघ्रो वनं रक्षेद्वनं व्याघ्रञ्च पालयेत्॥.’’ इसका अर्थ है, ‘‘जंगल नहीं होने पर बाघ मारे जाते हैं, यदि बाघ नहीं होते, तो जंगल नष्ट हो जाता है. इसलिए, बाघ जंगल की रक्षा करता है और जंगल बाघ की रक्षा करता है.’’
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