आपने ऐसी टनल तो सुनी होगी जिसमें से ट्रेन गुजरती हो या वो देश की सबसे लंबी टनल हो लेकिन ऐसे रास्ते के बारे में नहीं सुना होगा जिसके ऊपर से हवाई जहाज दौड़ते हों और ठीक उसके नीचे बसें चलती हों. देश में पहली बार ऐसी ही एक टनल बनाई गई है. हैदराबाद एयरपोर्ट के भीतर ये टनल रनवे के ठीक नीचे बनाई गई है. इसके बन जाने से अब हवाई यात्रियों का दोहरा फायदा होगा. अब उन्हें हवाई जहाज तक जाने के लिए फेरी बस में रनवे से पहले रुक कर किसी हवाई जहाज के पास होने का इंतजार नहीं करना होगा और साथ ही आए दिन विमानों के लेट होने की शिकायत भी दूर हो जाएगी. हवाई जहाज तक पहुंचने के लिए अक्सर आपकी फेरी बस को रनवे पर दो-तीन मिनट के लिए रोक दिया जाता है ताकि रनवे से कोई दूसरा हवाई जहाज टेक ऑफ या लैंड कर सके. 


हैदराबाद एयरपोर्ट पर देश की पहली GSE टनल


कई बार इस कारण से यात्री विमान तक देरी से पहुंचते हैं जिससे उनका विमान भी निर्धारित समय से कुछ देरी से चलता है. अब कम से कम हैदराबाद एयरपोर्ट पर ऐसा नहीं होगा क्योंकि यहां रनवे को पार करने के लिए इसके नीचे ये एक बेहद मजबूत टनल बना दी गई है. हैदराबाद में बने इस टनल को ग्राउंड सपोर्ट इक्विप्मेंट टनल कहा जाता है. इसके चलते सालाना 7.5 हजार टन कार्बन एमिशन कम हो जाएगा. जिससे पर्यावरण को काफी फायदा होगा. इस टनल से यात्रियों और उनके बैगेज कम समय में आसानी से उनके विमान तक पहुंचाया जा सकेगा. यही नहीं अब रनवे पर जरूरत के बड़े सामानों की भीड़ भी कम हो जाएगी. 


GSE टनल के क्या हैं फायदे?


टनल के कारण इंतजार का समय कम हो जाने के कारण हवाई जहाज का फ्यूल भी कम खर्च होगा. हैदराबाद और दिल्ली एयरपोर्ट को चलाने वाली कंपनी जीएमआर के डिप्टी मैनेजिंग डाइरेक्टर आई प्रभाकर राव ने बताया कि हैदराबाद एयरपोर्ट में कोविड से पहले सालाना एक करोड़ बीस लाख यात्री आते थे. इस वक्त करीब 55 से 65 हजार यात्री रोज यहां आते और जाते हैं. लेकिन अब दो नई टर्मिनल बिल्डिंग बन जाने के बाद इसे सालाना तीन करोड़ चार लाख यात्रियों को सर्व करने योग्य बनाया जा रहा है. डिजाइन की बात करें तो मौजूदा हैदराबाद एयरपोर्ट के दोनों ओर बने इन टर्मिनलों के माध्यम से हैदराबाद एयरपोर्ट को तेलंगाना के राष्ट्रीय पक्षी नील कंठ के आकार का बनाया जा रहा है. इसमें मौजूदा 11 की जगह अब 24 बोर्डिंग गेट बनाए जाएंगे. और मौजूदा 3 की जगह अब 11 लगेज बेल्ट लगाई जाएंगी.


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