Hyderabad News: हैदराबाद में खूंखार हुए कुत्ते, रोजाना काटने के आ रहे 100 मामले, डॉक्टर ने बताई ये वजह
Dog Bite Cases Reported At Hyderabad: डॉक्टर रेड्डी ने कहा कि अस्पताल में सरकार ने मुफ्त आरआईजी (रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन) और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की भी आपूर्ति की है.
Dog Bite Cases Reported Per Day At Hyderabad: हैदराबाद में कुत्तों के काटने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक शहर के सरकारी बुखार अस्पताल में कुत्तों के काटने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए जाते है. अस्पताल में एक दिन में कुत्ते के काटने के लगभग 100 मामले सामने आने लगे हैं. गवर्नमेंट फीवर हॉस्पिटल में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. कोंडल रेड्डी ने बताया कि इस मौसम में कुत्ते उग्र हो जाते है जिसकी वजह से अस्पताल में हर दिन करीब 90 से 110 मामले आ रहे हैं.
डॉक्टर ने कहा कि रेबीज का कोई इलाज नहीं है. इसमें 100 प्रतिशत मृत्यु दर है. उन्होंने कहा कि मामला जो भी हो हमें कुत्ते के काटने से बचने के लिए उचित कदमों का पालन करना चाहिए. इसके साथ ही ज्यादा आवारा कुत्ते हैं तो उनकी नसबंदी के लिए अधिकारियों को बताना चाहिए. उन्होंने बताया कि ज्यादातर कुत्ते गर्मी में उग्र होते है ऐसे में उनको पानी पिलाते रहना चाहिए. इसके साथ उन्होंने लोगों को विशेष रूप से बच्चों को आवारा कुत्तों के समूह से दूर रहने के लिए कहा.
कुत्तों के काटने के मामलों के लिए दे रहे हैं टीकाकरण
डॉक्टर ने कुत्ते के काटने के बाद उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि कुत्ते के काटने की चोट मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है. ग्रेड 1 मामूली खरोंच है, ग्रेड 2 गहरी चोट है और ग्रेड 3 वह जगह है जहां अंडरलाइंग मसल्स एक्सपोज्ड होती हैं. रेड्डी ने बताया कि अब ग्रेड 2 से ऊपर के अधिकांश कुत्तों के काटने के मामलों के लिए टीकाकरण दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कुत्ते के काटने के घाव पर बस पट्टी बांधना सही नहीं है. इसके बाद मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए. रेड्डी ने कहा कि अस्पताल में सरकार ने मुफ्त आरआईजी (रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन) और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की भी आपूर्ति की है. उन्होंने कहा कि हम रात और दिन दोनों समय टीकाकरण भी कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि घरेलू बिल्ली, जंगली बिल्ली या बंदर के काटने से रेबीज हो सकता है. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को इनमें से किसी भी जानवर ने काट लिया हो तो रेबीज का टीका जरूर लगवाना चाहिए. डॉक्टर ने बताया कि एक बार किसी व्यक्ति को रेबीज हो जाए तो उसे बचाने का कोई उपाय नहीं है. उन्होंने कहा कि हम लोगों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इम्युनोग्लोबुलिन देते हैं, जो रोगियों को उनके शरीर के वजन के आधार पर तुरंत रैबिशील्ड देता है.
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