हैदराबाद एनकाउंटर: NHRC ने घटनास्थल पर जांच शुरू की, कोर्ट में पुलिस के खिलाफ याचिकाएं
साइबराबाद पुलिस ने बताया था कि दो आरोपियों ने उनके हथियार छीनकर उन पर गोलियां चलाई और बाकी के आरोपियों ने पत्थर तथा डंडों से हमला किया जिसमें दो पुलिसकर्मी जख्मी हो गए.इसके बाद पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी.
हैदराबाद: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सात सदस्यीय दल ने शनिवार को उस जगह का दौरा किया जहां पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किये गए आरोपी कथित मुठभेड़ में मारे गए थे. वहीं सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिका दायर कर पुलिस कार्रवाई में हुई मौतों की उसके पूर्व न्यायाधीशों की निगरानी में एसआईटी जांच कराने की मांग की है.
इस बीच तेलंगाना पुलिस ने कहा कि उसने चारों आरोपियों के खिलाफ उनके साथ गए पुलिसवालों पर “हमला” करने का मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवालों के बीच मारे गए आरोपियों में से एक की पत्नी आज नारायणपेट जिले में स्थित अपने गांव में कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क पर बैठ गई और चक्का जाम किया. उसका आरोप था कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है.
मारे गए आरोपी की पतनी ने कहा..
मारे गए आरोपी चेन्नकेशावुलू की गर्भवती पत्नी रेणुका ने कहा, “...गलती करने पर कितने लोग जेल में हैं. उन्हें भी उसी तरह गोली मार दी जाना चाहिए जैसे इन्हें (महिला पशुचिकित्सक मामले के आरोपी) मारी गई...हम तब तक शवों को नहीं दफनाएंगे.”
एनएचआरसी का दल यहां से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित चट्टनपल्ली गांव पहुंचा जहां यह कथित मुठभेड़ हुई थी. दल में एक फोरेंसिक विशेषज्ञ भी शामिल हैं. यह मुठभेड़ स्थल उस जगह से थोड़ी ही दूर स्थित है जहां 27 नवंबर की रात पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या किये जाने के बाद उसका जला हुआ शव बरामद हुआ था.
अधिकारियों ने कहा कि दल ने पोस्टमार्टम के बाद महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में रखे गए आरोपियों के शव का भी निरीक्षण किया. आरोपियों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी करायी गयी.
पुलिस उपायुक्त (शमशाबाद जोन) एन प्रकाश रेड्डी ने बताया, “उन्होंने अपराधस्थल का दौरा किया और जांच की प्रक्रिया चल रही है.”
अधिकारियों ने कहा कि दल ने महबूबनगर के सरकारी अस्पताल के शवगृह में रखे आरोपियों के शवों की जांच की. पोस्टमार्टम करने वाले दल में शामिल एक विशेषज्ञ ने कहा कि एनएचआरसी के दल ने यह देखा कि क्या पोस्टमार्टम तय प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किया गया है. इसके अलावा दल की जांच में कुछ अन्य पहलु भी शामिल थे.
उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट दो दिनों में तैयार की जाएगी.
मुठभेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर
इसबीच कथित मुठभेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं भी दायर की गईं. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग करते हुए शनिवार को अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई. इसके साथ ही याचिका में प्रत्येक परिवार के लिये 20 लाख रुपये के मुआवजे की भी मांग की गई है.
याचिका में इस मुठभेड़ को ‘न्यायेत्तर हत्या’ करार दिया गया है और इस घटना में संलिप्त पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया है, ‘‘यह घटना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार एवं निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार) का स्पष्ट उल्लंघन करता है. दोषी साबित होने तक कोई व्यक्ति निर्दोष होता है.’’
याचिका पर अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई
याचिका पर न्यायालय में अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है. गिरफ्तार आरोपियों की पुलिस हिरासत में न्यायेत्तर हत्या के लिए कथित तौर उकसाने और पुलिस पर दबाव बनाने को लेकर सपा सांसद जया बच्चन और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के खिलाफ कार्रवाई की भी पीआईएल में मांग की गई है.
वहीं अधिवक्ता जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव द्वारा दायर की गई एक अन्य जनहित याचिका में संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है.
उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया कि कथित मुठभेड़ “फर्जी” थी और इस घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए.
तेलंगाना हाई कोर्ट ने दिया था ये आदेश
तेलंगाना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह चारों आरोपियों के शव नौ दिसंबर को रात आठ बजे तक सुरक्षित रखे. इससे पहले हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर उनसे इस मामले में न्यायिक दखल का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया गया था कि यह न्यायेतर हत्या है. हाई कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया था कि पोस्टमार्टम का वीडियो उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपा जाए.
इसबीच पुलिस ने कहा कि उसने चारों आरोपियों के खिलाफ पुलिसकर्मियों पर ‘हमला’ करने का मामला दर्ज किया है. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश), धारा 176 और भारतीय शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि चारों आरोपियों के साथ गए पुलिस दल के प्रभारी की शिकायत के आधार पर शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की गई.
पुलिस पीड़िता का फोन बरामद करने घटना की पुनर्रचना के लिए आरोपियों को मौका-ए-वारदात पर लेकर गई थी.
लगातार दूसरे दिन लोगों के समूहों ने यहां सार्वजनिक रूप से पुलिस कार्रवाई पर खुशी जताई और पुलिस और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की प्रशंसा में नारेबाजी की.
पीड़िता के पिता ने शनिवार को कहा कि जिन आरोपियों ने उनकी बेटी के साथ राक्षसों से भी बदतर सलूक किया वे ऐसी ही सजा के हकदार थे जैसी पुलिस ने कार्रवाई की.उन्होंने एक बार फिर पुलिस और मुख्यमंत्री को पुलिस की कार्रवाई के लिये शुक्रिया कहा.
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