सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह 2019 के चर्चित हैदराबाद एनकाउंटर पर जल्द ही अंतिम सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा है कि मामले जांच के लिए गठित आयोग ने रिपोर्ट सौंप दी है. इसे देखने के बाद सुनवाई होगी. फिलहाल यह रिपोर्ट किसी भी याचिकाकर्ता को नहीं दी जाएगी. कोर्ट ने यह भी कहा है कि मामले को लंबा नहीं खींचा जाएगा.
क्या थी घटना?
26 नवंबर, 2019 की रात हैदराबाद में अपनी ड्यूटी से लौट रही 27 साल की एक वेटनरी डॉक्टर (पशु चिकित्सक) को अगवा किया गया था. उसका बलात्कार करने के बाद हत्या की गई और शव को पेट्रोल से जला दिया गया था. हैदराबाद पुलिस ने 4 आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया. 6 दिसंबर को तड़के करीब 3 बजे पुलिस की एक टीम चारों को उस जगह ले कर गई, जहां उन्होंने शव को जलाया था. पुलिस का मकसद वारदात के घटनाक्रम की जानकारी जुटाने के साथ कुछ सबूतों की बरामदगी था. लेकिन पुलिस के दावे के मुताबिक वहां आरोपी पुलिस पर हमला कर भागने लगे. इस वजह से उनका एनकाउंटर किया गया और चारों मारे गए.
कोर्ट ने बनाया आयोग
सुप्रीम कोर्ट में तीन वकीलों ने याचिका दायर कर पूरे मामले को संदिग्ध बताया. उनका कहना था कि पुलिस ने जिस तरह से चारों लोगों को मार गिराया है वो सीधे-सीधे लोगों के दबाव का नतीजा नजर आता है. पूरी कार्यवाही पुलिस नियमावली के खिलाफ थी. इस तरह से न्यायिक प्रक्रिया की उपेक्षा कर पुलिस का खुद इंसाफ करना सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनते हुए अपनी तरफ से 3 सदस्यीय आयोग का गठन किया था. आयोग का अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर को बनाया गया. मुंबई हाई कोर्ट की रिटायर्ड जज रेखा बलडोटा और पूर्व सीबीआई प्रमुख वी एस कार्तिकेयन भी सदस्य थे. कमिटी को कोर्ट ने कई बार समय विस्तार दिया. आखिरकार, 28 जनवरी को कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी.
आज क्या हुआ?
आज यह मामला चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस ए एस बोपन्ना और हिमा कोहली की बेंच में लगा. सुनवाई शुरू होते ही कई वकीलों ने एक साथ अपनी बातें कहनी शुरू कर दी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने और उनके साथी जजों ने अभी तक रिपोर्ट को देखा नहीं है. इसे देखने के बाद आगे सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता जी एस मणि ने रिपोर्ट उन्हें भी दिए जाने का अनुरोध किया. लेकिन कोर्ट ने इससे मना कर दिया. कुछ नए याचिकाकर्ताओं ने मामले में पक्ष बनाए जाने की दरख्वास्त की. कोर्ट ने इससे भी मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि मामला लंबा नहीं खींचा जाएगा. कमिटी अपना काम पूरा कर चुकी है. उसे भी अब बंद किया जा रहा है.
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