Hyderabad Encounter Case: 2019 के चर्चित हैदराबाद एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित आयोग ने फर्जी माना है. आयोग ने कुछ पुलिसवालों को इसका दोषी बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए मामला तेलंगाना हाई कोर्ट भेज दिया है. 26 नवंबर 2019 की रात हैदराबाद में 27 साल की एक वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या की गई थी. 6 दिसंबर को तड़के करीब 3 बजे पुलिस ने चारों आरोपियों को संदिग्ध एनकाउंटर में मार गिराया था. इसके कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में जांच आयोग बना था.


जस्टिस सिरपुरकर आयोग को काम शुरू करने के 6 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. इस लिहाज से उसका कार्यकाल अगस्त 2020 में पूरा होना था. लेकिन कोरोना के चलते काम में देरी हुई. इस साल जनवरी में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी. आज चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिपोर्ट को खोला. तेलंगाना सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने रिपोर्ट को फिलहाल गोपनीय रखने का अनुरोध किया. लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया.


चीफ जस्टिस ने कहा, "इसमें गोपनीयता की कोई बात नहीं. हमारे आदेश पर जांच हुई और कुछ लोगों को दोषी पाया गया. राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करे. हम अब मामले की निगरानी नहीं करना चाहते. सभी पक्ष रिपोर्ट को पढ़ें और आगे की राहत के लिए हाई कोर्ट में अपनी बात रखें."


आयोग ने कहा है कि फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए चारों आरोपियों- मो. आरिफ, चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलु, जोलु शिवा और जोल्लु नवीन को पुलिस हिरासत में जांच के लिए घटनास्थल पर ले जाया गया. उनमें से किसी के भी पास कोई हथियार नहीं था. पुलिस की पिस्टल छीन कर भागने की कहानी गढ़ी गई. इसका कोई सबूत नहीं मिला. जांच के बाद यही लगता है कि आरोपियों को जान से मारने की नीयत से उन पर गोलियां चलाई गईं. आयोग ने यह भी कहा है चारों आरोपियों में से आरिफ को छोड़ कर बाकी तीनों नाबालिग थे.


मामले में आयोग ने 10 पुलिस अधिकारियों को दोषी माना है. उनके नाम हैं वी सुरेंद्र, के नरसिम्हा रेड्डी, शैक लाल मधार,  मोहम्मद सिराजुद्दीन, कोचेरला रवि, के वेंकटेश्वरलू, एस अरविंद गौड़, डी जानकीराम, आर बालू राठौड़ और डी श्रीकांत. इनमें से शैक लाल, सिराजुद्दीन और कोचेरला रवि के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा चलाने की सिफारिश भी जस्टिस सिरपुरकर आयोग ने की है. आयोग में बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रेखा बलडोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन भी सदस्य थे.


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