Hyderabad: एनकाउंटर मामले में जांच रिपोर्ट अदालत भेजी गयी, पक्षकारों को दिया गया रिपोर्ट साझा करने का आदेश
Hyderabad News: पहले पीठ ने आयोग की सीलबंद लिफाफे वाली रिपोर्ट कुछ वक्त के लिए वकीलों के साथ साझा करने से इनकार कर दिया था.
Hyderabad News: उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या मामले के चार आरोपियों की कथित मुठभेड़ की जांच से संबंधित आयोग की सीलबंद रिपोर्ट को साझा करने का शुक्रवार को आदेश दिया है. आगे की कार्रवाई के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय के पास भेज दिया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के उस अनुरोध को ठुकरा दिया. तीन-सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए.
पीठ ने कहा, ‘‘यह (रिपोर्ट) मुठभेड़ मामले से संबद्ध है. इसमें यहां रखने जैसी कोई बात नहीं है. आयोग ने किसी को दोषी पाया है. हम मामले को उच्च न्यायालय के पास भेजना चाहते हैं. हमें मामले को वापस उच्च न्यायालय के पास भेजना पड़ेगा, हम इस मामले की निगरानी नहीं कर सकते. एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गयी है. सवाल यह है कि क्या उचित कार्रवाई की जाए. उन्होंने कुछ सिफारिशें की हैं.’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम आयोग सचिवालय को दोनों पक्षों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं.’’ इससे पहले पीठ ने आयोग की सीलबंद लिफाफे वाली रिपोर्ट कुछ वक्त के लिए वकीलों के साथ साझा करने से इनकार कर दिया था. चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच कर रहे आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर ने की है.
सीजेआई ने वकीलों के साथ रिपोर्ट न साझा करने का निर्देश दिया
हालांकि, न्यायालय ने रजिस्ट्री को पीठ के न्यायाधीशों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. सीजेआई ने वकीलों के साथ कुछ वक्त के लिए रिपोर्ट साझा न करने का निर्देश देते हुए कहा था, ‘‘पहले हमें रिपोर्ट पढ़ने दीजिए.’’ इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने गत वर्ष तीन अगस्त को आयोग को मुठभेड़ मामले पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह महीने का और समय दिया था. सिरपुरकर समिति का गठन 12 दिसंबर 2019 को हुआ और उसे उन परिस्थितियों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया, जिसके चलते मुठभेड़ हुई. उसे अपनी रिपोर्ट छह महीने में सौंपनी थी.
आरोपी मुठभेड़ में मारे गए
समिति का गठन करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में चल रहे मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि तेलंगाना पुलिस ने कहा था कि आरोपी मुठभेड़ में मारे गए. यह घटना सुबह करीब साढ़े छह बजे हुई थी जब आरोपियों को जांच के लिए घटनास्थल ले जाया जा रहा था. चारों आरोपियों मोहम्मद आरिफ, चिंटाकुंटा चेन्नाकेश्वुलु, जोलु शिवा और जोलु नवीन को नवंबर 2019 में एक पशु चिकित्सक के सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या मामले में पकड़ा गया था.
आरोपियों ने महिला का शव जला दिया था
चारों आरोपियों को हैदराबाद के समीप एनएच-44 पर कथित मुठभेड़ में गोली मार दी गयी थी. इसी राजमार्ग पर 27 वर्षीय युवती का जला हुआ शव मिला था. पुलिस ने दावा किया कि 27 नवंबर 2019 को महिला पशु चिकित्सक का अपहरण कर उससे दुष्कर्म किया गया तथा बाद में उसकी हत्या कर दी गयी. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपियों ने महिला का शव जला दिया था.
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