ट्रिपल तलाक: मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ा दिन, मॉडल निकाहनामे में हो सकता है बदलाव
एआईएमपीएलबी के प्रमुख मौलाना राबे हसनी नदवी हैदराबाद में ओवैसी अस्पताल में होने वाली बैठक की अध्यक्षता करेंगे. बैठक शाम 6 बजे ओवैसी अस्पताल के बगल में स्थित स्टेडियम में शुरु होगी.
नई दिल्ली: तीन तलाक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में फूट पड़ने लगी है. बोर्ड के एक गुट ने मॉडल निकाहनामा बदलाव के लिए कमर कस ली है. अभी तक तीन तलाक पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पर्सनल लॉ बोर्ड धार्मिक मामलों में दखल बताता रहा था लेकिन अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कुछ सदस्य निकाहनामे में बदलाव पर अड़ गए हैं.
हैदराबाद में आज से शुरू हो रही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में मॉडल निकाहनामे में संशोधन को लेकर चर्चा हो सकती है. प्रस्ताव ये है कि सभी काजियों को बताया जाएगा कि निकाह पढ़ाते वक्त निकाहनामे में ये प्वाइंट शामिल करें कि पति 'ट्रिपल तलाक इन वन सिटिंग' मतलब तीन तलाक नहीं देगा.
ट्रिपल तलाक पर रोक लगाने के लिए अब तक क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया था.सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि ट्रिपल तलाक कुरान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक रोकने के लिए सरकार को कानून बनाने का निर्देश दिया.
ट्रिपल तलाक रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बिल लेकर आई, जो लोकसभा से बिना किसी संशोधन के पास हो चुका है. विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते बिल राज्यसभा में अभी भी अटका है. प्रधानमंत्री मोदी ने बिल को मुस्लिम महिलाओं के हक में बताते हुए इसे पास कराने की अपील की है.
पीएम मोदी के कड़े रुख के कारण तैयार हुआ पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं के हित में बदलाव को तैयार हुआ है तो इसके पीछे एक ही कारण तीन तलाक के खिलाफ पीएम मोदी का कड़ा रुख है. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीएम ने कहा, ''अगर आपको लगता है कि तीन तलाक पर आप जिस तरह का भी कानून चाहते हैं…तो किसने रोका था आपको? तीस साल पहले मामला आपके हाथ में आया था.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ''आपके ही एक मंत्री का भाषण का भाषण था, तीन तलाक क्यों जाना चाहिए. लेकिन जब चारों तरफ से आवाज आई, वोट बैंक खतरे में पड़ गया. तो अचानक से उस मंत्री को भी जाना पड़ा और उस मिशन को भी जाना पड़ा. इसलिए जो कारण दिए जा रहे हैं, हिंदुस्तान के हर क्रिमिनल कानून के अंदर सजा है. जो लॉजिक दे रहे हैं लागू हो सकता है. उसने किसी की हत्या की घर का इकलौता बेटा है, तीस साल की उम्र है, बूढ़े मां बाप हैं. तब आपको ख्याल नहीं आया कि वो क्या खाएंगे. हिंदू दो शादी करे वो जेल चला जाए, उसके लिए सजा हो तब विचार नहीं आया कि उसके परिवार के लोग क्या खाएंगे.''