शहबाज शरीफ से कैसी रही मुलाकात? पाकिस्तान दौरे पर जयशंकर ने कही बड़ी बात
India Pakistan Relations: हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने पड़ोसी देश के पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी.
S Jaishankar Pakistan Visit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान गए थे. इस दौरान उनकी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की छोटी सी मुलाकात चर्चा का विषय रही. इसको लेकर कई तरह की अटकलें भी लगाई गईं. आज सोमवार (21 अक्टूबर) को विदेश मंत्री ने इन अकटकों पर विराम लगा दिया है.
एनडीटीवी के वर्ल्ड समिट में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि वो नवाज शरीफ से तो नहीं मिले. एससीओ के लिए गए थे. उन्होंने कहा, "मैं बहुत सपोर्टिव हूं. हम गए. मिले. हाथ मिलाया. मीटिंग अच्छी रही और आ गए." इस एससीओ में भारत-पाकिस्तान के बीच कोई विवाद नहीं पनपा और यही कारण इस शिखर सम्मेलन को सफलता समिट माना जा रहा है.
#WATCH | Delhi: On his visit to Pakistan, EAM Dr S Jaishankar says "I did not meet him (Nawaz Sharif) I went there for the SCO meeting...We were very supportive of the Pakistani presidency of SCO...'Gaye waha, mile sabse haath milaya, had a good meeting aur aa gaye wapas'..." pic.twitter.com/aZV8oB5cEo
— ANI (@ANI) October 21, 2024
पाकिस्तान की अपनी यात्रा पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "मैं उनसे (नवाज शरीफ) नहीं मिला. मैं वहां एससीओ बैठक के लिए गया था. हम एससीओ की पाकिस्तानी अध्यक्षता के समर्थक थे. गए वहां, मिले सबसे हाथ मिलाया, अच्छी बैठक हुई और वापस आ गए."
दो विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत रही चर्चा का विषय
बेशक एस. जयशंकर ने हमेशा की तरह चर्चा में रहने वाले शब्द, “सीमा पार”, “आतंकवाद”, “अलगाववाद”, और “चरमपंथ” को शामिल किया लेकिन सीमा पार और सीमा के भीतर के पत्रकार इसी बात की चर्चा करते नजर आए कि जयशंकर और इशाक डार के साथ डिनर टेबल पर बिताए गए पांच से सात मिनट में क्या बातचीत हुई होगी? बताया गया कि “यह सिर्फ बातचीत नहीं है” उस डाइनिंग टेबल की बातचीत में और भी बहुत कुछ हुआ है.
नवाज शरीफ ने भारतीय पत्रकारों से क्या कहा?
एससीओ के बाद भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत में शरीफ ने आग्रह किया कि दोनों देशों को "पिछले 75 साल की तरह 75 साल और बर्बाद नहीं करने चाहिए. दोनों पक्षों को बैठकर गंभीरता से बात करनी चाहिए." उन्होंने उस वक्त को भी याद किया जब पीएम मोदी लाहौर पहुंचे थे और उनकी मां से मिले थे.
नवाज शरीफ को पाकिस्तानी सेना बुरी नजर से देखती है. पिछले 25 सालों में एक और बात लगातार बनी हुई है, वह है शरीफ की भारत से दोस्ती की पहल और खास तौर पर मोदी की यारी को लेकर सैन्य प्रतिष्ठान का उनसे गुस्सा. अगर पाकिस्तान में कोई राजनेता भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहता है तो इसे केवल विश्वासघात ही माना जाता है.
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