नई दिल्ली: कांग्रेस पर परोक्ष निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि विपक्ष जब सत्ता में था तब सत्ता उसके लिए उपभोग की वस्तु थी. उन्हें अभी तक समझ में नहीं आ रहा है कि विपक्ष में कैसे रहना है .


वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विपक्ष के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब विपक्ष सत्ता में थे तब सत्ता उनके लिए उपभोग का साधन थी . इसलिए विपक्ष में कैसे रहना है, उनको समझ में नहीं आया है. ’’


वित्त मंत्री के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘ भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई ऐसी है कि इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा और इसमें कोई पकड़ा जायेगा, वह बचेगा नहीं. मेरा कोई रिश्तेदार नहीं है .’’ एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि यूपीए ने ना ही कालेधन और ना ही भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी कदम उठाया है, ऐसे में स्पष्ट है कि उसके नेता इन बुराइयों के खिलाफ उठाए गए कदमों से असहज होंगे.





अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विशेष बल दिया कि कई बार विपक्ष की ओर से काफी कड़वाहट वाली शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है, जब सरकार पर कोई स्पष्ट आरोप नहीं हो, तब सरकार के खिलाफ कड़वाहट वाली शब्दावली विकल्प नहीं हो सकता है. ’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में कोई भी राजनीतिक दल बीजेपी जितना सक्रिय नहीं है. बीजेपी के लिए राजनीति चुनाव की पारंपरिक गतिविधियों से इतर सेवा का साधन है . इसलिए सत्ता के माध्यम से लोकतंत्र को जनभागीदारी में बदलने का काम राजनीतिक दलों का है और बीजेपी ऐसा कर सकती है. चुनाव उसका एक अंग है और हमें चुनाव से आगे बढ़ते हुए जनभागीदारी के साथ लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना है.


प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान आतंकवाद के खिलाफ पहल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 90 ऐसे कट्टर आतंकियों को दूसरे देशों से लाए जाने की पहल होगी. इस बारे में भारत को सहयोग प्राप्त हो रहा है. जेटली ने कहा कि भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और स्वच्छता जैसे जनभागीदारी के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण है और पार्टी इन सभी पहल को आगे बढ़ाए.


सोमवार को राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में 13 मुख्यमंत्री, 6 उपमुख्यमंत्री, 60 से अधिक केंद्रीय मंत्री, 232 राज्य के मंत्री, 1500 विधायकों औक पार्षदों और 334 सांसदों ने हिस्सा लिया.