I.N.D.I.A : ‘अखिलेश वखिलेश, कांग्रेस चालू पार्टी, धोखा दिया… और अब धीरज साहू, क्या लोकसभा चुनाव से पहले ही I.N.D.I.A का बिगड़ा खेल?
I.N.D.I.A Future: इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक तो कांग्रेस की मनमानी और दूसरा भ्रष्टाचार ने विपक्षी दलों के मन में संशय डाल दिया है. अब इस गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं.
Why I.N.D.I.A Meeting Cancelled : 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बने इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक तो शुरुआत से ही नहीं चल रहा है. पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों ने भले ही इस गठबंधन की शुरुआती जिम्मेवारी निभाई हो. हालांकि कांग्रेस की एंट्री के बाद गठबंधन में क्षेत्रीय दलों को किनारे लगाने की उसकी कोशिश, कहीं इस गठबंधन के ताबूत में आखिरी कील साबित ना हो.
मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम इसी की ओर इशारा कर रहे हैं. गठबंधन के बाकी दलों ने कांग्रेस से दूरी बनाना तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव के वक्त से ही शुरू कर दिया था, जब कांग्रेस ने किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ सीट शेयर करने से मना कर दिया था. बाद में बात इतनी बढ़ गई कि जब नतीजे आए और कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई तो कई क्षेत्रीय दलों ने इसमें शामिल होने से मना कर दिया. इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस आरोप से हुई कि गठबंधन की तारीख के बारे में समय पर सूचना नहीं दी गई.
धीरज साहू का भ्रष्टाचार की आंच से बचना चाहते हैं अन्य दल
गठबंधन के दलों को एक साथ लाने की जो थोड़ी बहुत गुंजाइश बची थी, वो अब धीरज साहू ने खत्म कर दी है. कांग्रेस के इस राज्यसभा सांसद के ठिकानों से अब तक किसी भी सुरक्षा एजेंसी की ओर से बरामद की गई सबसे बड़ी राशि (करीब 300 करोड़ नगदी) बरामद होने के बाद क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस से और दूरी बनानी शुरू कर दी है. क्योंकि इंडिया गठबंधन में शरीक दल नहीं चाहते हैं कि धीरज साहू के कालेधन की कालिख उन तक भी पहुंचे.
क्या दोबारा साथ आएंगे गठबंधन के सभी दल?
क्या इंडिया गठबंधन अब कभी एक साथ एक मंच पर खड़ा नहीं होगा? ये सवाल उसी दिन से ही बना हुआ है जब कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव हार गई थी. चुनाव परिणामों के तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाने का ऐलान कर दिया था, लेकिन जितनी तेजी से ये बैठक बुलाई गई उतनी ही तेजी से रद्द हो गई थी. इसके पीछे वजह थी क्षेत्रीय दलों की नाराजगी.
कांग्रेस के अकेले निर्णय लेने से नाराज हैं अन्य दलों के नेता?
खरगे की ओर से मीटिंग ( 6 दिसंबर को होने वाली थी) की घोषणा किए जाने के बाद पहले ममता बनर्जी ने बैठक में जाने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि बैठक की तारीख पर उनका पूर्व निर्धारित कार्यक्रम उत्तर बंगाल में है. उन्हें समय पर सूचना दी गई होती तो अपना कार्यक्रम पुनर्निर्धारित करतीं. उसके बाद अखिलेश यादव ने, और फिर नीतीश कुमार समेत अन्य दलों ने बैठक में जाने से मना किया तो इसे रद्द करने की घोषणा करनी पड़ी. इससे साफ संदेश गया था कि बैठक करने या नहीं करने का निर्णय अन्य दलों से बात करने के बजाय सीधे कांग्रेस ले रही थी, जिसकी नाराजगी इन दलों के नेताओं में घर कर गई है.
"अखिलेश वखिलेश, कांग्रेस चालू पार्टी,धोखा दिया"
दरअसल इंडिया गठबंधन में दरार की शुरुआत उसी वक्त से हो गई थी जब विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और जेडीयू ने सीट मांगी थी. कांग्रेस ने उन्हें सीटें देने से इनकार कर दिया था. मध्य प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ ने कहा था, "कौन अखिलेश वखिलेश?" इससे नाराज अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस चालू पार्टी है, धोखा दिया है.
उल्टा पड़ा कांग्रेस का पासा
जानकारों की मानें तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में अपनी जीत का भरोसा था. उसे लग रहा था कि अगर उसकी बड़ी जीत होती है तो उसकी लीडरशिप को चुनौती देने वाला कोई नहीं होगा. इसलिए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में ना समाजवादी पार्टी को कोई भाव दिया, ना आम आदमी पार्टी को और ना जेडीयू को. हालांकि कांग्रेस का ये पासा उल्टा पड़ गया. वो ना सिर्फ मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव हार गई, बल्कि उस छत्तीसगढ़ को भी गंवा बैठी, जिसे वो जीता हुआ मानकर चल रही थी.
एक साथ 3 राज्यों में मिली हार ने कांग्रेस की बार्गेनिंग पावर को पहले ही कमजोर कर दिया था. अब रही सही कसर राज्यसभा सांसद धीरज साहू के पास से मिली बेनामी संपत्ति ने पूरी कर दी है. क्योंकि जो दल इंडिया गठबंधन से जुड़े हुए हैं, वे नहीं चाहते कि बीजेपी को उनपर भी निशाना साधने का मौका मिले.
धीरज साहू से पीछा छुड़ाना आसान नहीं
उधर कांग्रेस धीरज साहू से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे पता है कि ये इतना आसान नहीं है. ये वो मुद्दा है, जिसका जिक्र 5 महीने बाद लोकसभा चुनाव में भी होगा. उस वक्त भी होगा जब 2024 के आखिर में झारखंड में विधानसभा चुनाव होंगे. वहीं इन सबके बीच कई सवाल इस बात के भी है कि इस कैश कांड की जांच होगी तो किस किसके नाम आएंगे?
वैसे तो धीरज साहू इस मामले में अभी तक मीडिया के सामने नहीं आए हैं, लेकिन सूत्रों ने बताया है कि उनसे पूछताछ में कई बड़े चेहरे उजागर हो सकते हैं. BJP लगातार कांग्रेस पर हमलावर है और दो बार लोक सभा चुनाव हारने के बाद भी धीरज साहू को राज्यसभा भेजने पर सवाल पूछ रही है. इस बड़े भ्रष्टाचार की आंच से अन्य दल बचाना चाहते हैं, इसलिए अब इंडिया गठबंधन किस हद तक कारगर हो सकेगा इस पर सवाल खड़े हो गए हैं.
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