नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री और पिता राजीव गांधी की हत्या पर कहा है कि मैं हत्यारे प्रभाकरण की मौत से खुश नहीं था. उन्होंने कहा कि हिंसा का मुकाबला अहिंसा से ही हो सकता है और हिंसा का जवाब हिंसा नहीं बल्कि माफी है. राहुल गांधी ने जर्मनी के हेम्बर्ग में एक सवाल के जवाब में यह बात कही.


हिंसा का मुकाबला अहिंसा से ही हो सकता है- राहुल गांधी


हेम्बर्ग में एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने भारत और जर्मनी के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. वहां जब राहुल गांधी से पूछा गया कि हिंसा का जवाब क्या है? तो उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता को 1991 में एक आतंकी ने मारा. साल 2009 में मैंने उस शख्स (प्रभाकरण) को श्रीलंका में मरा हुआ देखा. लेकिन मैं खुश नहीं था. प्रियंका से बात की तो वो भी खुश नहीं थी. दरअसल मरने वाले के बच्चे में मैंने खुद को देखा. हिंसा का मुकाबला अहिंसा से ही हो सकता है. हिंसा का मुकाबला और हिंसा नहीं है. इसके लिए काफी कोशिश करनी होगी.’’


कमजोरी नहीं ताकत है अहिंसा- राहुल गांधी


राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘’मैंने अपने दादी, पिता को हिंसा के कारण खोया है. मैं अनुभव से कह रहा हूं. हिंसा का जवाब माफी ही है. सही-गलत का झगड़ा चलता रहता है लेकिन दोनों तरफ सही और गलत लोग होते हैं. लोगों को लगता है कि अहिंसा कमजोरी है लेकिन ये ताकत है.’’


पिता की मौत के वक्त 20 साल के थे राहुल


बता दें कि राहुल गांधी जब करीब 20 साल के थे तब 21 मई 1991 को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदुर में आम चुनाव प्रचार के दौरान एलटीटीई के आतंकियों ने हत्या कर दी थी. राजीव गांधी 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री रहे. 1984 में मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रस भारी बहुमत के साथ जीती और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे. एलटीटी चीफ प्रभाकरण के इशारे पर राजीव गांधी की हत्या को अंजाम दिया गया था. लेकिन ये ऐसी साजिश थी जिसमें एक नहीं, दर्जनों लोग शामिल थे.


राहुल पर बीजेपी का हमला- वीडियो देखें-



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