LCA Mark 2 Fighter Aircraft: भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी (IAF Chief Air Chief Marshal VR Chaudhari) ने भारत सरकार (Indian Government) द्वारा एससीए मार्क 2 लड़ाकू विमान (LCA Mark 2 Fighter Aircraft) के अधिक प्रभावी मॉडल के विकास को मंजूरी दिए जाने पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय हमारे अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के स्वदेशी डिजाइन (Indigenous Design) और विकास को जबरदस्त बढ़ावा देगा. यह विमान निर्माण के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को आगे बढ़ाएगा.


वायुसेना प्रमुख ने आगे कहा कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रनों (Fighter Squadrons) की तेजी से घटती ताकत और आने वाले वर्षों में मिग-21 विमान (MiG 21 Aircraft) से चरणबद्ध तरीके से बाहर होने के मद्देनजर, यह आवश्यक है कि परियोजनाओं के लिए निर्धारित समय-सीमा का पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि तेजस मार्क-2 (Tejas Mark 2) की महत्वपूर्ण क्षमता से वायुसेना को बल मिलेगा. इसलिए यह आवश्यक है कि सभी स्टेक होल्डर को इस विमान को भारतीय वायुसेना में समय पर शामिल करने को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.


सरकार ने दी मंजूरी


बता दें कि सरकार ने बुधवार को स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की सफलता को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने आज एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमान के अधिक प्रभावी मॉडल के विकास को मंजूरी देने का फैसला किया. सरकार के इस फैसले के बाद अब यह विमान मिराज 2000, जगुआर और भारतीय वायु सेना में मिंग-29 लड़ाकू विमान की जगह लेगें.


राफेल विमान की श्रेणी का होगा


विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से एलसीए मार्क 1ए कार्यक्रम में हुई प्रगति से लाभ मिलेगा और पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान परियोजना के विकास में भी मदद मिलेगी. डीआरडीओ के अनुसार यह विमान एवियोनिक्स और क्षमताओं के मामले में राफेल विमान की श्रेणी का होगा, लेकिन उसके मुकाबले वजन में काफी हल्का होगा. बता दें कि सरकार ने इस बात की भी मंजूरी दे दी है कि विमान में इस्तेमाल होने वाल इंजन प्रारंभिक विकास चरण के बाद मेड इन इंडिया होने चाहिए.


लड़ाकू विमान मार्क-1ए से क्यों है खास?


एलसीए मार्क-2 फाइटर जेट लड़ाकू विमान मार्क-1ए से ज्यादा हेवी है. इसीलिए  इसे मीडियम-वेट फाइटर जेट कैटेगरी में रखा जा सकता है. इसका वजन करीब साढ़े 17 हजार किलो है और इसकी पेयलोड क्षमता साढ़े 6 हजार किलो है. हेवी होने के कारण इसमें बड़े फ्यूल टैंक लगाए जा सकते हैं.  यहां तक की ज्यादा मिसाइल और वैपन इसमें इंडीग्रेट किए जा सकते हैं. मार्क-1ए में जहां कुल 08 वैपन-पोड्स हैं, मार्क-2 में 11 पोड्स हैं.इसके मायने ये हैं कि मार्क-2 में आठ एयर टू एयर मिसाइल लगाई जा सकती है,. जबकि मार्क-1ए में चार ही लगाई जा सकती हैं.


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