एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच रफाल फाइटर जेट्स की दूसरी स्कॉवड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात की जाएगी. चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन के बेहद करीब हाशिमारा मेन ऑपरेटिंग बेस अप्रैल में बनकर तैयार हो जाएगा और माना जा रहा है कि फ्रांस से अगली रफाल लड़ाकू विमानों की खेप हाशिमारा में ही तैनात की जाएगी. हाशिमारा में रफाल फाइटर जेट की स्कॉवड्रन (101 स्कॉवड्रन) को 'फालकन्स' के नाम से जाना जाएगा.


जानकारी के मुताबिक, अगले महीने यानि अप्रैल तक भारत को फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमानों की अगली खेप मिलने जा रही है. इस खेप में करीब आधा दर्जन रफाल फाइटर जेट्स हैं और ये सभी हाशिमारा बेस पर तैनात किए जाएंगे.


आपको बता दें कि भारत को फ्रांस से अबतक 11 रफाल लडाकू विमान मिल चुके हैं. ये सभी 11 फाइटर जेट्स भारतीय वायुसेना की अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्कॉवड्रन (17 स्कॉवड्रन) में तैनात किए गए हैं. अंबाला पर तैनात गोल्डन एरो स्कॉवड्रन की पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी (चीन बॉर्डर) और पाकिस्तान से सटी एलओसी, दोनों ही मोर्चों की जिम्मेदारी है. हाल ही में पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर जब चीन से भारत की तनातनी चल रही थी, तब भारत ने रफाल लड़ाकू विमानों को भी लद्दाख के फ्रंट-लाइन एयरबेस पर तैनात किया था.


लेकिन हाशिमारा में तैनात रफाल फाइटर जेट्स की जिम्मेदारी सिक्किम से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक से सटी एलएसी की होगी. हाशिमारा बेस उसी विवादित डोकलम इलाके के बेहद करीब है जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 75 दिन लंबा टकराव हुआ था. हालांकि, अभी तक हाशिमारा बेस पर रफाल के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर और नए रनवे के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है.


गौरतलब है कि अंबाला में रफाल की स्कॉवड्रन तैनात करने पर करीब 250 करोड़ रूपये का खर्च आया था. यहां तक की पिछले साल सितंबर में अंबाला में रफाल को वायुसेना में शामिल होने वाले कार्यक्रम पर करीब 42 लाख रूपये खर्च हुए थे. भारत ने वर्ष 2016 में फ्रांस से इंटर-गर्वमेंट एग्रीमेंट (आईजीए) के तहत 36 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था. इन 36 विमानों में से 11 विमानों की खेप भारत पहुंच चुकी है.


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