मोहसिन ने कहा कि उन्होंने एक निजी समाचार चैनल की केवल एक खबर शेयर की थी और समझ नहीं आ रहा कि इस ट्वीट को लेकर इतना हंगामा क्यों मचा गया है. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस विवाद के पीछे कोई साजिश नजर आती है, तो अधिकारी ने कहा, ‘‘आप हर समय सभी को खुश नहीं कर सकते.’’
मोहसिन ने 27 अप्रैल को ट्वीट किया था, ‘‘केवल दिल्ली में 300 से ज्यादा तबलीगी नायकों ने देश की सेवा के लिए अपना प्लाज्मा दान किया. गोदी मीडिया का क्या? वे इन नायकों द्वारा किए गए मानवता के कार्य नहीं दिखाएंगे.’’
इस ट्वीट पर मिला कारण बताओ नोटिस
कर्नाटक राज्य सरकार ने उनके इस ट्वीट पर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. कर्नाटक कैडर के 1996 बैच के अधिकारी मोहसिन बिहार के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में एक सचिव के तौर पर कार्यरत हैं.
नोटिस में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 की गंभीर प्रकृति और इससे जुड़ी संवेदनशीलता को देखते हुए मीडिया में इस ट्वीट को जो कवरेज मिली है उसे सरकार ने गंभीरता से संज्ञान में लिया है.’’ सरकार ने अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 का उल्लंघन करने के लिए अधिकारी से पांच दिन के भीतर एक लिखित स्पष्टीकरण मांगा है.
दरअसल, तबलीगी जमात इस वर्ष तब सुर्खियों में आया था जब दक्षिण दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए उसके सैकड़ों सदस्य कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद इसके सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों में गए थे और उनमें से कई इससे संक्रमित थे.
वहीं अधिकारी मोहसिन पिछले साल पहली बार तब खबरों में आए थे जब चुनाव आयोग ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गत अप्रैल में ओडिशा दौरे के दौरान उनके हेलीकाप्टर का निरीक्षण करने का प्रयास करने के लिए निलंबित कर दिया था. अधिकारी को एक चुनाव पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात किया गया था.