नई दिल्लीः साल 2012 के अरुणाचल प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन का कहना है कि मैंने पांच महीने पहले नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक उसे मंजूर नहीं किया है. उल्टा मुझे नोटिस देकर मुझ पर ये आरोप लगाए जा रहे है कि मैं देश की छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिगाड़ रहा हूं. केंद्र सरकार की मंशा मुझ पर डिसमिस का टैग लगाने की है. बता दें कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के विरोध में गोपीनाथन ने 23 अगस्त 2019 को इस्तीफा दे दिया था.
गोपीनाथन का आरोप हैं कि धारा 370 को हटाने के बाद पांच महीने गुजर चुके है लेकिन वहां कुछ नहीं बदला. विकास तो दूर की बात है वहां पत्थरबाज़ी और आतंकी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. लेकिन इन घटनाओं की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं हो रही है. खुद गृह मंत्रालय ने सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारियां दी है. एक सौ सत्तर दिनों से जम्मू कश्मीर के चुने हुए तमाम नेता नज़रबंद है और ऐसा भारत जैसे लोकतंत्र में हो रहा है.
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर गोपीनाथन ने कहा कि इसमें जानबूझकर सिर्फ तीन देशों को शामिल किया गया है ताकि एक जाति के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जा सके. श्रीलंका से भी बहुत हिन्दू आये लेकिन सीएए में उसे शामिल नहीं किया गया. ये देश में नफरत को बढ़ावा देने वाला कदम है. पूरे देश में इस मुद्दे को लेकर चल रहे विरोध के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि लोग विरोध के लिए एकजुट होकर सामने तो आए. केंद्र सरकार ने तो नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों को जबरन लागू कर दिया. देश में माहौल ऐसा है कि अगर कोई केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाये तो सरकार समर्थक उन्हें जाति के अनुसार देशद्रोही या आतंकी जैसा टैग लगा देते हैं.गोपीनाथन ने कहा कि जिस दिन ये सरकार चली जायेगी उसी दिन एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दे भी खत्म हो जाएंगे.
गोपीनाथन ने अंदेशा जताया कि सीएए और एनआरसी जैसे विषयों से देश में भ्रष्टाचार भी बढ़ जाएगा. लोग अपने वोटर आईडी और आधार जैसे पहचान पत्रों की छोटी छोटी कमियों को दूर करवाना चाहेंगे और प्रशासन के लोग उन्हें परेशान करेंगे.