निकाहनामे जैसा है अनुच्छेद 35A, रद्द करेंगे तो रिश्ता खत्म हो जाएगा: शाह फैसल
श्रीनगर: सोशल मीडिया पर अपनी एक टिप्पणी के कारण पूर्व में अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर चुके आईएएस अफसर शाह फैसल ने रविवार को संविधान के अनुच्छेद 35-ए की तुलना निकाहनामे से की. फैसल ने ट्वीट किया, "आप इसे रद्द करेंगे और रिश्ता खत्म हो जाएगा. बाद में बात करने के लिए कुछ नहीं बचेगा."
पूर्व मंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता नईम अख्तर ने फैसल के ट्वीट को रिट्वीट किया और अपने विचार भी जोड़े. उन्होंने ट्वीट किया, "इसे रद्द किया जाना वैवाहिक दुष्कर्म जैसा होगा. एक संवैधानिक संबंध को यह कब्जे में बदल देगा."
I would compare Article 35A to a marriage-deed/nikahnama. You repeal it and the relationship is over. Nothing will remain to be discussed afterwards.
— Shah Faesal (@shahfaesal) August 5, 2018
भारतीय संविधान की सर्वोच्चता से इनकार करने वाले जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी संगठन अनुच्छेद 35-ए को बचाए जाने के लिए एकजुट हैं. 14 मई, 1954 को लागू हुआ यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर की विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता है.
क्या कहती है धारा 35A? 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया. 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बनाया गया था. इसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है. इस संविधान के मुताबिक स्थायी नागरिक वो व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो. साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल की हो. दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता ना ही दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक बन सकता है.जम्मू-कश्मीर की लड़की बाहर शादी करे तो उसके और उसके बच्चों के अधिकार खत्म हो जाएंगे. कई दशकों से जम्मू-कश्मीर में बसे लोगों को नागरिकता नहीं मिल पाई है.