भारतीय विमानन उद्योग से जुड़े करीब 20 लाख लोगों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है. ये कहना है एयरलाइंस कंपनियों के ग्लोबल संगठन आईएटीए यानि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का. आपको बता दें कि भारत में लॉकडाउन के कारण सभी उड़ानें 3 मई तक के लिए बंद हैं.


जानकारी के मुताबिक कई एयरलाइंस कंपनियां काफी खस्ताहाल में हैं और धीरे धीरे आर्थिक मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इस कारण से एविएशन सेक्टर में काफी छंटनी की खबरें भी सामने आई हैं. कुछ कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेज दिया है.


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आईएटीए ने कहा कि एविएशन के साथ साथ उन नौकरियों पर भी खतरा है जो सीधे तौर पर इस इंडस्ट्री के साथ जुड़ी हुई हैं. आईएटीए के असिस्टेंट डारेक्टर (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन्स) एशिया पैसेफिक अल्बर्ट टजोएंग ने कहा कि इस दिशा में भारत सरकार को काफी कदम उठाने चाहिए और इस मामले को अपनी प्राइरिटी लिस्ट में रखना चाहिए.


गौरतलब है कि 25 मार्च से तीन मई तक सभी घरेलू और इंटरनेशनल उड़ानें बंद हैं. हाल ही में कुछ एयरलाइंस ने सैलेरी कट पॉलिसी की घोषणा की है. अल्बर्ट ने कहा- लॉकडाउन के चलते यात्री सेवा से राजस्व में 8.8 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. इसके चलते एविएशन सेक्टर में 20 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा है.


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आपको बता दें कि आईएटीए में 290 एयरलाइंस कंपनियों का संगठन है जिसमें एयर इंडिया, विस्तारा, इंडिगो और स्पाइसजेट आदि शामिल हैं. एक अनुमान के अनुसार 2019 की तुलना में 314 अरब डॉलर और यात्री मांग में 48 फीसदी कमी की आशंका है. अल्बर्ट ने कहा कि भारत सरकार को एयरलाइंस कंपनियों की मदद करनी चाहिए और टैक्स को पूरी तरह या आंशिक रूप से माफ कर देना चाहिए.


यहां ये बताना भी जरूरी है कि दुनियाभर के करीब 6.55 करोड़ लोग एविएशन सेक्टर पर निर्भर हैं. इनमें ट्रैवल और टूरिज्म के लोग भी शामिल हैं. ऐसी आशंका है कि कोरोना वायरस के कारण जो मंदी का माहौल बन रहा है इसकी वजह से करीब 20 लाख नौकरियां अकेले एविएशन सेक्टर में जा सकती हैं जबकि इससे जुड़े दूसरे सेक्टरों की नौकरियों पर भी असर पड़ेगा.