'सब हाथों से निकल रहा', 25 साल पहले अजित डोभाल ने कंधार से किया था फोन, पूर्व रॉ चीफ का IC184 हाईजैक पर नया खुलासा
अमरजीत सिंह दुलत ने कहा कि वो समय अधिकारियों के लिए कितना मुश्किल रहा होगा क्योंकि भारत के न तालिबान से रिश्ते थे और पाकिस्तान के साथ भी संबंध काफी खराब चल रहे थे.
ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स की वेब-सीरीज IC184 द कंधार हाईजैक की रिलीज के बाद 1999 की इस घटना को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) के तत्कालीन चीफ अमरजीत सिंह दुलत ने लाल कृष्ण आडवाणी और अजित डोभाल को लेकर नया खुलासा किया है. लाल कृष्ण आडवाणी उस समय गृहमंत्री थे और तीनों आतंकियों को छोड़े जाने का उन्हें बहुत अफसोस था. उन्होंने कहा कि इस बात से अजित डोभाल को भी दुख हुआ होगा क्योंकि वह लाल कृष्ण आडवाणी की तरह सोचते हैं. अमरजीत सिंह ने यह भी बताया कि कंधार से अजीत डोभाल ने फोन करके बताया था कि वह वहां सुरक्षित नहीं हैं.
अमरजीत सिंह ने आगे बताया कि हाईजैकर्स से बात शुरू होने के 6 दिन के बाद अजित डोभाल ने उन्हें फोन करके बताया कि वह वहां सेफ नहीं हैं और न ही हाईजैकर्स खुद सुरक्षित हैं और सब कुछ उनके हाथों से निकलता जा रहा है. एएस दुलत ने कहा कि उस वक्त अधिकारियों के लिए मुख्य चीज हाईजैकर्स की डिमांड को कम करना था. हाईजैकर्स की डिमांड में से सबसे अहम मसूद अजहर की रिहाई थी और यह बात हम पहले दिन से जानते थे.
अमरजीत सिंह दुलत ने कहा कि अजित डोभाल को मसूद अजहर और बाकी आतंकियों को छोड़ने पर अफसोस हुआ होगा क्योंकि वह लाल कृष्ण आडवाणी के नक्शेकदम पर चलने वाले शख्स हैं. वह आडवाणी की तरह सोचते थे इसलिए जैसा लाल कृष्ण आडवाणी ने महसूस किया होगा वैसा ही अजित डोभाल को भी महसूस हुआ होगा.
एएस दुलत से पूछा गया कि क्या आडवाणी हाईजैकर्स की डिमांड मानने के खिलाफ थे और क्या वह मसूद अजहर समेत तीन खूंखार आतंकियों को छोड़ना नहीं चाहते थे. इस पर एएस दुलत ने कहा, 'हां, लेकिन आप उस वक्त बुरी फंस चुके थे. आपको एक काम दिया गया था, जो आपको करना था.' उन्होंने कहा कि अजित डोभाल एक अच्छे पेशेवर हैं और उनके दिमाग में आया होगा कि ये क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है.
अमरजीत सिंह दुलत ने आगे कहा कि चार सबसे अच्छे अधिकारियों को हाईजैक्स से नेगोशिएट करने के लिए अफगानिस्तान को तालिबान भेजा गया था, जिनमें अजित डोभाल, आईबी के नेहचल संधु, रॉ के सीडी सहाय और आनंद अर्नी शामिल थे. उन्होंने कहा कि वह महसूस कर सकते हैं कि वो वक्त अधिकारियों के लिए कितना मुश्किल रहा होगा क्योंकि भारत के न तालिबान से रिश्ते थे और पाकिस्तान के साथ भी संबंध काफी खराब चल रहे थे. उस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का ही शासन था.
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