नई दिल्लीः देश में मां और उनके बच्चों के समग्र विकास के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) को संचालित किया जा रहा है. इस केंद्रीय प्रायोजित योजना को 2 अक्टूबर, 1975 को शुरू किया गया था. इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कंधों पर है. इस योजना के द्वारा महिला और बाल विकास मंत्रालय बच्चों की अनौपचारिक शिक्षा, वैक्सीनेशन, स्वास्थ्य की जानकारी, पोषण और शिक्षा पर सूचना उपलब्ध करते हैं.


इस योजना को सफल बनाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूरी लगन से काम कर रहे हैं. देशभर में कुपोषण और रोग के कारण बच्चों की मृत्यूदर अधिक थी. इसलिए बच्चों की लगातार हो रही मौत के आंकड़े को कम करने के लिए ICDS योजना के तहत बच्चों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जरूरी सुविधा मुहैया कराते हैं.


इस योजना की शुरुआत में मात्र 24 आंगनवाड़ी केंद्रों को शामिल किया गया था. वहीं वर्तमान समय में लगभग 3 ICDS प्रोजेक्ट के माध्यम से लगभग 500 आंगनवाड़ी केंद्र इस योजना को सफल बना रहे हैं. इस योजना के जरिए वर्तमान में देशभर के कई गांव और कॉलोनियों में रह रहे तकरीबन 6 लाख से ज्यादा की आबादी लाभांवित हो रही है.


बच्चों के समग्र विकास की जिम्मेदारी


एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है. यह बचपन की देखभाल और विकास के लिए दुनिया के सबसे बड़े और अनोखे कार्यक्रमों में से एक है. यह योजना हमारे देश में बच्चों और माताओं के लिए देश की प्रतिबद्धता का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है.


एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना का मुख्य उद्देश्य 0-6 साल के आयु वर्ग के बच्चों की पोषण और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करना है. इसके साथ ही बचपन से मिलने वाली सुविधाओं से बच्चे का शारीरिक और सामाजिक विकास काफी तेजी से होता है. इस योजना के कारण बच्चों में मृत्यु दर, रोग, कुपोषण और स्कूल छोड़ने वालों की घटनाओं को कम किया जा रहा है.


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