नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस परीक्षण के लिए ICMR ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. लॉकडाउन के 16 दिन बीतने के बाद इस रणनीति में बदलाव इसीलिए किया गया है क्योंकि अब विदेश से कोई भी नहीं आ रहा है. इसके अलावा देश के अंदर भी कोई यात्रा नहीं कर रहा है. इसीलिए ICMR की ओर से अब कॉन्टेक्ट ट्रांसिट के मामलों पर अधिक काम किया जाएगा.
ICMR की ओर से जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार अब इन लोगों की जांच भी की जाएगी.
- पिछले 14 दिनों में विदेश से लौटा ऐसा व्यक्ति जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं.
- लैब में कंफर्म केस के संपर्क में आए व्यक्ति जिसमें ये लक्षण दिखना शुरू हो चुके हैं.
- सभी हैल्थ केयर वर्कर जिन में लक्षण नजर आने लगे हैं. इसमें डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, पैरामेडिक्स शामिल हैं.
- हर उस व्यक्ति को जिसको यानी सांस की तकलीफ है और खांसी बुखार है.
- किसी भी पॉजिटिव केस के संपर्क में आए उस व्यक्ति का जिसमें लक्षण नहीं दिख रहे हैं. इनका टेस्ट पांचवे और 14वें दिन होना चाहिए.
- जिन जगहों पर हॉटस्पॉट या क्लस्टर बने हैं. इसके अलावा वह लोग जो बड़ी संख्या में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचे हैं. उन्हें जिस सेंटर में रखा गया है उन लोगों के संपर्क में आने वाले लोग.
- हर उस व्यक्ति का जिसे बुखार खांसी जुकाम और गले में खरास है. इनका टेस्ट 7 दिन के अंदर और एक बार फिर 7 दिन बाद होना चाहिए. (बीमारी के 7 दिनों के भीतर-आरआरटी-पीसीआर और बीमारी के 7 दिनों के बाद- एंटीबॉडी परीक्षण)
इससे पहले सिर्फ उन व्यक्तियों का टेस्ट होता था जो हाल में विदेश यात्रा से लौटे हैं। जानकार बताते हैं कि ये बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि लॉक डाउन की वजह से अब कोई बाहर से नहीं आ रहा है. अब संक्रमण लोकल लेवल पर फैल सकता है.
फेलिक्स अस्पताल के डॉ डीके गुप्ता का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान भी लगातार मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में संक्रमण जो अभी स्टेज-2 में है वो स्टेज थ्री में जा सकता है. क्योंकि अब बाहर से अब कोई नहीं आ रहा है. वहीं संक्रमण अब लोकल लेवल पर फैल रहा है. इसलिए ये बदलाव जरूरी है और इसी से रोकथाम हो सकती है. फिलहाल यह नियम चौथी बार बदले गए हैं. ICMR समय-समय पर परिस्थितियों के हिसाब से टेस्टिंग के लिए नियमोें में परिवर्तन करता है.