कोरोना वायरस के खिलाफ अभी लड़ाई जारी है. ऐसी स्थिति में आईसीएमआर ने राहत भरी खबर दी है. आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि ट्यूबरक्लोसिस से बचाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीसीजी वैक्सीन अब कोरोना वायरस के खिलाफ भी असरदार साबित हो सकती है. वहीं, बुजुर्गों में इसका ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. इस समय वैज्ञानिक बीसीजी वैक्सीनेशन के असर को लेकर टी सेल्स, बी सेल्स, श्वेत रक्त कोशिका और डेंड्रीटिक सेल प्रतिरक्षा पर लगातार जांच कर रहे हैं. इसके अलावा स्वस्थ बुजुर्ग, जिनकी आयु 60-80 साल के बीच की है, उनके पूरे एंटीबॉडी स्तर की भी गंभीरता से जांच कर रहे हैं.


50 साल पहले लॉन्च हुआ था बीसीजी वैक्सीन
 
आपको बता दें कि 60 साल से अधिक उम्र या फिर कोमोरबिडीटीज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों में कोरोना वायरस के घातक होने का ज्यादा खतरा बना रहता है. जानकारी के लिए बता दें कि बीसीजी वैक्सीन नवजात शिशुओं को केंद्र सरकार के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत लगाया जाता है. इसे 50 साल पहले लॉन्च किया गया था. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद  (आईसीएमआर) ने जानकारी दी कि शोध के दौरान, संस्थान के वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी वैक्सीन मेमोरी सेल्स प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करता है और बुजुर्गों में कुल एंटीबॉडी बनाता है.


अभी जारी हैं कई क्लिनिकल परीक्षण 


वहीं, शोध में अब तक (जुलाई- सितंबर) 86 लोगों को शामिल किया गया है, जिसमें 54 को वैक्सीन दी गई और 32 को नहीं दी गई. साथ ही टीकाकरण के एक महीने बाद सभी सभी टीकाकरण वाले मरीजों का आकलन भी किया गया. रिपोर्ट्स में पाया गया है कि बीसीजी वैक्सीनेशन समूह में मध्य उम्र 65 साल थी और जिन्हें वैक्सीन नहीं दी गई, उस समूह में 63 साल मध्य उम्र थी. बीसीजी वैक्सीन के परिणाम को जानने के लिए कई क्लिनिकल परीक्षण अभी जारी हैं. इससे पहले किए गए शोध में बताया गया है कि इंडोनेशिया, जापान और यूरोप में बीसीजी वैक्सीनेशन ने श्वसन संबंधी बीमारियों से बुजुर्गों की सुरक्षा की है.



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