नई दिल्ली: भारत में कोरोना प्रभावित लोगों का आंकड़ा दो लाख छूने जा रहा है. ऐसे में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर देश के 70 से अधिक जिलों और 12 हॉटस्पॉट इलाकों में एक सेरोलॉजी टेस्ट कर रहा है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर यह खतरनाक वायरस कितनी आबादी में फैल चुका है. हालांकि देश में अब भी कोरोना मामलों के चरण को दूर बताया जा रहा है.


करीब 34 हजार लोगों के साथ किया गया यह टेस्ट अपने अंतिम दौर में हैं. आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ निवेदिता गुप्ता के मुताबिक इस परीक्षण के नतीजे इस हफ्ते के अंत तक सामने आ जाने की उम्मीद है. टेस्ट के लिए देश के 71 जिलों और मुंबई, चेन्नई आदि के चिह्नित हॉटस्पॉट इलाकों से स्वस्थ और सामान्य लोगों के बीच से सैंपल लिए गए हैं. टेस्ट के जरिए लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाएगा. यानी यह जानने की कोशिश होगी कि आखिर कितने लोगों के शरीर से होकर यह वायरस गुजर चुका है? साथ ही इस परीक्षण के आंकड़ों से यह भी जानने में मदद मिलेगी की यह वायरस किस तरह से फैल रहा है?

यह देश में कोरोना के विस्तार की जांच के लिए किया गया सबसे बड़ा टेस्ट है. इससे पहले आईसीएमआर ने ऐसा ही सेरोलॉजी टेस्ट डेंगू और नीपाह वायरस के लिए भी किया था. महत्वपूर्ण है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद इंसान के शरीर में इसके खिलाफ प्रतिरोधी एंटीबॉडी बन जाती हैं. रक्त में इम्यूनोग्लोबिन की मात्रा के सहारे इनका पता लगाया जा सकता है. वैज्ञानिक इस बात से इनकार नहीं करते कि ऐसे कई लोग हो सकते हैं जो बिना जानकारी के कोरोना संक्रमित हुए और सामान्य तरीके से ठीक होगा.

हालांकि डॉ निवेदिता ने स्पष्ट किया कि लक्षण रहित लोगों के इस बीमारी के फैलाने की संभावना कम है. साथ ही अभी तक इसके प्रसार में यह देखने को मिला है कि जिन लोगों में इसके लक्षण अधिक होते हैं उनके खांसने-छींकने या निकट संपर्क के कारण ही संक्रमण ज्यादा होता है.

कोरोना का चरम अभी दूर
देश में कोविड-19 हालात की बढ़ते ग्राफ के बीच आईसीएमआर ने साफ किया है कि अभी भी देश कोरोना मरीजों के चरम की स्थिति से काफी दूर हैं. डॉ निवेदिता वर्मा ने कोरोना प्रबंधन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि देश अब भी कोरोना के चरम से काफी दूर है. कोरोना मामलों के प्रबंधन की स्थिति अन्य कई देशों की तुलना में काफी बेहतर है.

देश में लॉकडाउन की पाबंदियों में रियायत देने की कवायद के बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इससे मामले बढ़ तो नहीं जाएंगे. कोविड प्रबंधन में लगे उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ दिनों के दौरान प्रवासी मजदूरों और लोगों की आवाजाही बढ़ने के कारण कुछ इजाफा जरूर हुआ है. प्रवासी आबादी की आवाजाही के कारण बढ़े मामलों का प्रतिशत अलग अलग राज्यों 2-10 फीसद के बीच है. हालांकि इन सभी राज्यों के साथ अधिक फोकस के साथ टेस्टिंग और उपचार की रणनीति पर काम किया जा रहा है.

गौरतलब है कि भारत में कोरोना मामलों का ग्राफ अब भी लगातार बढ़ रहा है. हालांकि प्रतिलाख संक्रमण की संख्या से लेकर कोविड मरीजों में मृत्यु दर औसत में भारत का रिकॉर्ड कई देशों से काफी बेहतर है. दुनिया में कोविड19 से मरने वाले मरीजों की औसत मृत्युदर जहां 6 फीसद से ज्यादा है. वहीं भारत में कोरोना की मृत्युदर 2.82 प्रतिशत है.