इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने बच्चों को वैक्सीनेशन पर कहा कि इस वक्त दुनिया में सिर्फ एक ही देश है जहां पर बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रहा है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि क्या बहुत छोटे बच्चों को वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ेगी यह एक सवाल बना हुआ है. आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने कहा- जब तक हमारे पास बच्चों के वैक्सीनेशन पर अधिक डेटा नहीं होगा, हम बड़े पैमाने पर बच्चों का वैक्सीनेशन करने की स्थिति में नहीं होंगे.
बलराम भार्गव ने आगे कहा कि हालांकि हमने 2 से 18 साल के बच्चों के ऊपर छोटी स्टडी शुरू कर दी है और इसका नतीजे हमारे पास सितंबर या उसके आसपास तक आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि वैसे अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी ने भी इस पर स्पष्ट कुछ नहीं कहा है और वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या बच्चों को वैक्सीनेट करने की आवश्यकता है. भार्गव ने कहा कि हमने अमेरिका में कुछ समस्याएं देखी हैं.
आईसीएमआर के डीजी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से गाइडलाइन्स में यह कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन दी जा सकती है. वैक्सीनेशन गर्भवती महिलाओं में काफी फायदेमंद है और यह दिया जाना चाहिए.
इधर, देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवावैक्स की पहली खेप के प्रोडक्शन की शुरुआत कर दी है. सीरम इंस्टीट्यूट ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए कहा कि एक नया मुकाम हासिल किया. इस हफ्ते हमने नोवावैक्स की तरफ से तैयार की गई कोविड-19 वैक्सीन जिसे भारत में कोवोवैक्स नाम दिया गया है, उसकी पहली खेप बनाने की शुरुआत कर दी है.
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि "इस हफ्ते पुणे में कोवावैक्स के पहले बैच के उत्पादन होते देख काफी उत्साहित हूं. इस वैक्सीन में 18 साल से कम आयु-वर्ग की भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा करने की क्षमता है. ट्रायल अभी जारी है. शानदार टीम."