पूरी दुनिया में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है. इस बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि कोरोना की दवाई कब बनेगी? ICMR के पूर्व महानिदेशक प्रो निर्मल गांगुली ने एबीपी न्यूज के 'नमस्ते भारत' कार्यक्रम में कोरोना महामारी से जुड़े ऐसे कई सवालों के जवाब दिए.
ICMR पूर्व महानिदेशक ने कहा, हाइड्रोक्लोराइड नाम की दवाई कोरोना के लिए काफी असरदार साबित हुई है. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन को मिलाकर इटली में तीन-चार ट्रायल हुए हैं. इस ट्रायल का नतीजा ये निकला कि अगर शुरुआत में किसी इंसान को दिया जाता है तो करीब 92 फीसदी लोगों में 5-7 दिन में कोरोना वायरस गायब हो जाता है. ये प्रयोग कल्चर और आरटी पीसीआर दोनों तरह से किया गया है.
प्रो निर्मल गांगुली ने आगे कहा, ट्रायल के दौरान सिर्फ 4.2 फीसदी लोगों को ही वेंटिलेटर पर जाना पड़ा. इसलिए अगर ये दवाई शुरुआत में ही दी जाए तो फायदा होता है. इसमें एक समस्या ये है कि हार्ट डिजीज के मरीजों के मरने का डर ज्यादा होता है, लेकिन इस ट्रायल में इसपर ध्यान नहीं दिया गया है. इसके अलावा भी कई दवाइयों पर ट्रायल चल रहा है. लेकिन अभी इनकी कोई खास रिपोर्ट सामने नहीं आई है.
निर्मल गांगुली के मुताबिक, आमतौर पर जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होता है, तो वायरस कभी 20 दिन तक रहता है तो कभी 37 दिन तक इंसान के शरीर में रहता है. उन्होंने बताया कि भारत में इमरजेंसी में ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन का ट्रीटमेंट किया जा रहा है.
प्रोफेसर ने देश में लॉकडाउन को सही कदम बताया है. हालांकि उनका कहना है कि भारत में अभी कोरोना टेस्टिंग की संख्या काफी कम है. कोरिया, जर्मनी, ताइवान, सिंगापुर जैसे देशों की तरह टेस्टिंग की व्यवस्था करनी होगी. उन्होंने बताया कि इन देशों में करीब-करीब सभी नागरिकों के टेस्ट किए गए हैं.