ICMR-NIIH ने हीमोफिलिया और वॉन विलेब्रांड रोग (VWD) रोगों के टेस्ट के लिए एक आसान और तेजी से परिणाम देने वाली नई किट विकसित की है. इसे एक सामान्य पट्टी पर बनाया गया है जिसका परिणाम बहुत तेजी से आता है. इस किट का उपयोग हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर सकेंगे. इससे लोगों को कम समय में इससे संबंधित रोग के टेस्ट का परिणाम मिल जाएगा. मार्केट में आने से लोगों का पैसा और समय दोनों की बचत होगी. इस किट को डीजीसीआई से हरी झंडी मिल चुकी है और इसको बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए बोल दिया गया है. किट के आविष्कार से उन क्षेत्रों के लोगों को काफी राहत मिलेगी जहां पर हीमोफीलिया और वॉन विलेब्रांड रोगों के ज्यादा मरीज पाए जाते हैं और उन इलाकों में डाग्नोस्टिक सुविधाएं सीमित हैं.  


क्या है वॉन विलेब्रांड रोग
वॉन विलेब्रांड रोग एक ऐसा रक्तस्राव विकर है जो आजीवन रहता है. इस रोग में आपका खून लगातार बहता रहता है. इस रोग की वजह से आप के खून में थक्का बनना कम हो जाता है जिसकी वजह से रक्तस्राव एकदम से खत्म नहीं होता है. इस रोग से ग्रसित लोगों में वॉन विलेब्रांड कारक का स्तर कम हो जाता है. इस रोग की वजह से आपके खून में थक्का बनाने में सहायक एक प्रोटीन अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर पाता है जैसा कि उसे करना चाहिए. इस वजह से रोगी का रक्तस्राव नहीं रुकता है. 






आनुवांशिक होता है विलेब्रांड रोग
ज्यादातर लोगों में ये बीमारी जन्मजात होती है, जिसका मतलब है कि ये आनुवांशिक होता है. रोगी के माता या पिता दोनों में से किसी एक के विरासत में ये रोग पहले से ही होता है. इसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी भी नहीं होती है. उनके दांतों से ज्यादातर रक्तस्राव होता ही रहता है. यह रोग ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन उचित इलाज और अच्छी देखभाल से इसके रोगी भी सामान्य तरह के लोगों की तरह अपना जीवन जी सकते हैं. 


क्या होता है हीमोफीलिया रोग
हीमोफीलिया रोग में भी रोगी को खून का थक्का नहीं बनता है. जिस व्यक्ति को हीमोफीलिया हो जाता है उसकी ब्लीडिंग नहीं रुकती है. अगर रोगी के शरीर में हल्की सी भी चोट लग जाए या फिर जरा सा भी कट जाए तो कुछ देर बाद खून का थक्का बन जाता है और खून रुक जाता है जबकि हीमोफीलिया के रोगी का खून नहीं रुकता है. इस बीमारी का सही समय पर पता लगना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. 


साल 2019 में हीमोफीलिया के सस्ते टेस्ट का मिला था विकल्प
खून से जुड़ी बीमारी हीमोफीलिया बीमारी का टेस्ट साल 2019 से पहले काफी महंगा होता था. रोगियों को इसके टेस्ट के लिए 4 हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते थे. साल 2019 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पहली बार एक रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट किट तैयार की थी, जिसके बाद से ये टेस्ट महज 50 रुपये के खर्च में होने लगा और लोगों को काफी राहत मिली. इस किट की मदद से अब भारत हीमोफीलिया-ए और खून से जुड़ी अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए सबसे सस्ता टेस्स करने वाला देश बन गया है. आईसीएमआर ने इस किट का पेटेंट भी रख लिया है.


जानिए क्या हैं हीमोफीलिया के लक्षण



  1. मसूड़ों से खून निकलना

  2. त्वचा आसानी से छिल जाती है

  3. नाक से लगातार खून बहते रहना

  4. शरीर पर नीले निशानों का बनना, आंख के अंदर खून का निकलना और उल्टी आना सामान्य बात है

  5. शरीर में आं​तरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होता रहता है

  6. हीमोफीलिया में सिर के अंदर भी रक्तस्राव होने से तेज सिरदर्द, गर्दन में अकड़न रहती है