Monkeypox: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) ने कहा कि मंकीपॉक्स के केस ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के मामले बढ़ने का कारण नहीं होगा. पुणे में स्थित आईसीएमआर-एनआईवी की सीनियर साइंटिस्ट डॉ प्रज्ञा यादव ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है. डॉ यादव ने आगे कहा कि मंकीपॉक्स के केस असिम्प्टोमटिक हो सकते हैं. इस तरह के अध्ययन करने के लिए एक ELISA assay विकसित की जा रही है. बता दें कि एलिसा परीक्षण जैविक नमूनों/बायोलॉजिकल सैंपलों में प्रोटीन, , हार्मोन या रसायनों के स्तर को मापने के लिए एक एंटीबॉडी आधारित तकनीक है.
स्मॉल पॉक्स वैक्सीन मंकीपॉक्स से बचाव के लिए कितनी कारगर?
यह सवाल पूछे जाने पर कि स्मॉल पॉक्स वैक्सीन मंकीपॉक्स से बचाव के लिए कितनी कारगर है? इसके जवाब में डॉ प्रज्ञा यादव ने कहा कि स्मॉलपॉक्स वैक्सीन (चेचक का टीका) मंकीपॉक्स को रोकने में 86 फीसदी प्रभावी है. केरल में हुई मंकीपॉक्स से पहली मौत को लेकर डॉ यादव ने कहा कि व्यक्ति को पहले से बीमारी थी. हां, मंकीपॉक्स से जान जाने की संभावना हो सकती है. आगे डॉ यादव ने कहा, 'आईसीएमआर लेबोरेटरी नेटवर्क बढ़ रहा है. हम साथ ही वैक्सीन को लेकर भी काम कर रहे हैं.' हाल ही में द लेसेंट पेपर की स्टडी का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि मंकीपॉक्स वायरस इंसानों से कुत्ते में फैलता है. उन्होंने कहा 'जो भी व्यक्ति घर में कुत्ते के साथ रहता या सोता है वो संक्रमण का कारण बन सकता है.'
मंकीपॉक्स कब शुरू हुआ
यूएन के मुताबिक पहला मंकीपॉक्स का मामला नौ महीने की लड़की में 1970 में कांगो में मिला था. सबसे ज्यादा मामले मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में मिलते हैं. जो भी यहां की यात्रा करता उनको भी मंकीपॉक्स हो सकता है. इसका लक्षण बुखार, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और पीठ में दर्द है.
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