नई दिल्ली: आईसीएमआर ने देश की प्राईवेट लैब्स से अपील की है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वे फ्री में सैंपल टेस्ट करें. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी देते हुए मंगलवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने राजधानी दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कई प्राईवेट लैब ने उनसे संपर्क किया है कि वे मुफ्त में कोरोना वायरस के सैंपल्स की जांच करना चाहती हैं. इसलिए उन्होनें देश की सभी बड़ी निजी प्रयोगशालाओं से आहवान किया कि वे भी इस महामारी के समय में मुफ्त सैंपलिंग करें.
डॉक्टर भार्गव के मुताबिक, अभी देश में 72 ऐसी सरकारी लैब हैं, जहां पर कोरोना वायरस की जांच की जा सकती हैं. इन लैब्स के द्वारा किए गए टेस्ट पूरी तरह से मान्य हैं. हालांकि, उन्होनें कहा कि क्वालिटी कंट्रोल के लिए ही इन लैब्स से टेस्ट हुए नमूनों को एनआईवी यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी भेजा जाता है.
आईसीएमआर के डीजी के मुताबिक, अगले हफ्ते से 49 सरकारी लैब्स और देश में तैयार कर ली जाएगी. ये लैब रक्षा संस्थान डीआरडीओ, सीआईएसआर, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटैक्नोलोजी और गर्वमेंट मेडिकल कॉलेजों से जुड़ी हैं.
डॉक्टर भार्गव के मुताबिक, इसके अलावा आईसीएमआर जल्द ही दो ऐसी बड़ी मशीनें लेने जा रही हैं, जहां एक दिन में 1400 सैंपल टेस्ट किए जा सकते हैं. अभी इस तरह की देश में दो मशीनें हैं. उन्होनें बताया कि जापान जैसे देशों में भी अभी तक इस तरह की दो मशीनें हैं. आपको बता दें कि आईसीएमआर देश में जैव-चिकित्सा के अनुसंधान और समन्वय के लिए एक अग्रणी संस्थान है जिसका मुख्यालय राजधानी दिल्ली में है.
आईसीएमआर के मुताबिक, अभी हमारे देश में कोरोना वायरस का प्रकोप दूसरे स्तर पर हैं इसलिए अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन यानि बड़े स्तर पर नहीं फैला है. लेकिन उन्होनें कहा कि आने वाले समय के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. इसके लिए देश की सीमाओं को दूसरे देशों के लिए पूरी तरह बंद करना होगा.
आपको बता दें कि आईसीएमआर ने कोरोना वायरस टेस्ट के नियम भी अब बदल दिए हैं. अब उन सभी लोगों को जिन्होनें विदेश की यात्रा कि है या फिर सीधे किसी मरीज के संपर्क में आए हैं उनका सीधे टेस्ट करने की जरूरत नहीं है. उन्हें पहले 14 दिन के कोरांटीन (क्वारेंटाइन) किया जाएगा. अगर उन्हें कोरोना वायरस से जुड़े कोई लक्षण दिखाई पड़ते हैं तभी उनका टेस्ट किया जाएगा.
इसके अलावा जो हेल्थ-वर्कर्स यानी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ जो उन मरीजों का उपचार या देखभाल कर रहें हैं जो सांस से जुड़ी किसी भंयकर बीमारी से पीड़ित हैं तो उन्हें भी टेस्ट से गुजरना होगा. अगर उन्हें भी सांस से जुड़ी कोई परेशानी होती है.
आईसीएमआर से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि अभी भारत डब्लूएचओ के साथ ऐसी किसी रिसर्च में नहीं जुड़ा है जिसमें कोरोना वायरस से जुड़ी दवाओं पर काम चल रहा हो, क्योंकि अभी भारत में कोरोना वायरस किसी भी तरह से महामारी के स्तर पर नहीं पहुंचा है.
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