Ideas of India Summit 2023: ‘किसी चीज का कोई शॉर्टकट नहीं होता है’, अवध ओझा ने बताया क्यों देते हैं IAS बनने की कोचिंग
Ideas Of India 2.0: मुंबई में चल रहे एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2023 में मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा सर ने भी हिस्सा लिया और अपने विचार रखे.
Ideas of India 2023: एबीपी नेटवर्क का कार्यक्रम आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2023 मुंबई में आयोजित हो रहा है. इस कार्यक्रम में दुनिया जहां की हस्तियां शिरकत कर रही हैं. ये कार्यक्रम का दूसरा एडिशन है. इसी क्रम में टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा भी समिट में शामिल हुए और अपने विचार रखे और कई मामलों पर चर्चा की. उन्होंने ये भी बताया कि वो आईएएस बनने की कोचिंग क्यों देते हैं.
अवध ओझा से सवाल किया गया कि आईएएस इंडिया की सबसे पावरफुल जॉब है और जो खुद से इतनी पावरफुल है तो उसे मोटिवेशन देने की क्या जरूरत है, वो तो अपने आप में मोटिवेशनल चीज है. इसके जवाब में वो कहते हैं, “तपस्या करते वक्त कभी-कभी इंसान को दुख भी होता है. हमारी एक स्टूडेंट हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि हर दिन लगता था कि नहीं होगा. या तो आपका मन बहुत मजबूत हो या फिर आपको कोई पीछे से पुश चाहिए जो आपको हर दिन याद दिलाता रहे कि आप राजा बनने के लिए पैदा हुए हो. चाणक्य की तरह”
इंग्लिश आना कितना जरूरी?
अंग्रेजी सीखने को लेकर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “भाषा के साथ कोई भेदभाव नहीं है. केंद्रीय मंत्री भी अपने प्रेजेंटेशन हिंदी में देते हैं.” एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “एक देश में ज्यादातर लोग अनपढ़ हैं और उसकी अर्थव्यवस्था बेकार है, यहां तक कि उनके पास खाने के लिए कोई सामान नहीं है तो ऐसे में आपको मास मूवमेंट करने के लिए लोगों को सड़क पर लेकर आना है तो क्या करेंगे? तो ऐसे में लोगों के अंदर जिज्ञासा पैदा करनी होती है. पता करना होता है कि उसे चाहिए क्या. इसी तरह अगर शिक्षा में उत्सुकता और सीखने की चाह नहीं है तो सब बेकार है.” उन्होंने कहा कि रट्टा मारने से कोई फायदा नहीं है. जिसको जिस भाषा में समझ में आता है, उसी भाषा में शिक्षा ग्रहण करे.
जीवन में निर्णय कैसे लें?
जीवन में जब निर्णय लेने का समय आता है तो मन की सुननी चाहिए या फिर दिल की. इसके जवाब में ओझा सर ने कहा, “हमारा मन हमेशा द्वंद्व का शिकार होता है. उसकी वजह ये है कि दुनिया में 95 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो हर चीज कंफर्म करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हर चीज कन्फर्म हो और वो है नहीं. ऐसे लोग हजारों लोगों से बात करते हैं. तो वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि रिस्क तो लेना पड़ेगा. वो आगे बढ़ते हैं.”