Ideas of India Summit 2023: अखंड भारत में कौन-कौन से देश होंगे? क्या पाकिस्तान की भी जगह है? संघ सह सरकार्यवाह बोले- PAK हजारों साल पीछे जाएगा तो कहां पहुंचेगा?
Ideas of India 2.0: एबीपी नेटवर्क का कार्यक्रम 'आइडियाज ऑफ इंडिया' दो दिन (24-25 फरवरी) तक मुंबई में जारी रहेगा. इसमें देश और दुनिया की मशहूर हस्तियां हिस्सा ले रही हैं.
Ideas of India 2023: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने एबीपी न्यूज आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2023 में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने कई मुद्दों पर बातचीत की. जिसमें उनसे अखंड भारत को लेकर भी सवाल किया गया. इसको लेकर उनका मानना है कि ये राजनीतिक कम सांस्कृतिक बात है. उन्होंने कहा कि जब अखंड भारत की बात होती है तो ये राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक भाग है.
उन्होंने कहा, “वो सभी हिस्से जो भारत के दर्शन और संस्कृति से अपने आप को एक मानते हैं कि हमारा सांस्कृतिक मूल भारत है. भारत के दार्शनिक, वैचारिक और सांस्कृतिक भाव से एकरूप मानने वाले अपने को भारत के साथ जोड़ते हैं. मेरी समझ में वो राजनीतिक तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है.”
अखंड भारत में कौन-कैन से देश?
अखंड भारत में किन देशों को देखते हैं तो इसके जवाब में कृष्ण गोपाल ने कहा, “हमको ऐसा लगता है कि नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका, भारत को अपना बड़ा भाई मानते ही हैं. अब तो पाकिस्तान में भी कई यूनीवर्सिटी में पाकिस्तान के जन्म की बात होती है. बड़ी मात्रा में हिस्ट्री के प्रोफेसर इस बात से सहमत नहीं हैं कि पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को पैदा हुआ. वो मोहन जोदड़ो को अपने साथ जोड़ते हैं, तक्षशिला को अपने साथ जोड़ते हैं. जो इंडस वेली सभ्यता है, उसको भी अपने से जोड़ते हैं. अपने को हजारों साल पीछे ले जाते हैं. इस तरह की डिबेट पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होती है. जब पाकिस्तान अपने आप को हजारों साल पीछे ले जाता है तो वो खुद ही भारत के साथ जुड़ जाता है. पाकिस्तान के प्रोफेसर आज कहते हैं कि हमने अपने रिलीजन को बदला. ये भाव उनको भारत से जोड़ते हैं.”
PoK पर कृष्ण गोपाल
अखंड भारत के सपने में PoK का कितना महत्व है? इस सवाल के जवाब में डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा, "पीओके ही नहीं हम तो ये कहते हैं जो भी स्थान कभी भारत के साथ रहा है और धीरे-धीरे पुरखों को याद करेगा और पूर्वजों को याद करेगा तो एक इतिहास की ओर चलेगा. तब उसे एक होने का एक आधार मिलेगा. ये कोई दो-चार दिन की बात नहीं है. राजनीतिक दृष्टि से संभव नहीं होगा. कल्चरल और हिस्टोरिकल एस्पेक्ट से एक अखंड, प्राचीन और सांस्कृतिक भारत का फाउंडेशन बनता है."