Ideas of India Summit 2024: एबीपी नेटवर्क के सालाना शिखर सम्मेलन 'आइडिया ऑफ इंडिया' समिट में बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनको उम्मीद नहीं थी कि राज्य से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने से पहले और बाद में हमें अपने देश में ही घर में कैद कर दिया गया, मेरे परिवार को नजरबंद कर दिया गया. हम सभी के फोन को बंद कर दिया गया था.
कार्यक्रम के दौरान मंच पर उमर अब्दुल्ला ने यह भी आरोप लगाया कि हमें डराया गया और धमकाया गया था. 5 अगस्त, 2019 को हमें घर में बंद कर दिया गया था. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से पहले और बाद तक हमें घर में ही बंद करके रखा गया. इसकी हमें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. उमर ने कहा कि हमने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम किया है, लेकिन हमकों इस दौरान बाहर पब्लिक के बीच नहीं आने दिया गया.
'अलगाववादियों की जेबें अभी भी भरी जा रहीं'
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने एबीपी के मंच पर यह बात भी जोर शोर से कही कि जम्मू-कश्मीर अब अपेक्षाकृत शांत है. अब सड़क पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि ये अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुआ, यह सच नहीं है. जब इसे निरस्त किया गया था तो कहा गया था कि आतंकवाद, अलगाववाद, विकास अनुच्छेद 370 के कारण हुआ था, लेकिन आज निरस्त होने के 5 साल के बाद भी अलगाववादियों की जेबें अभी भी भरी जा रही है.
उमर अब्दुल्ला ने किया पूर्व राज्यपाल का जिक्र
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा यह भी कहा कि जब तक वास्तव में ऐसा नहीं हुआ तब तक उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया जाएगा. उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल को जिक्र भी करते हुए कहा कि उनकी तरफ से हमें आश्वस्त किया गया था कि जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति को खत्म करने की कोई योजना नहीं है. बावजूद इसके ऐसा हुआ.
'मुझे शांति के लिए खतरा बताकर हिरासत में लिया था'
पूर्व सीएम उमर ने यह भी कहा कि उनके घर के बाहर अवैध तरीके से लॉक लगा दिया गया था. मुझे शांति के लिए खतरा बताते हुए हिरासत में ले लिया गया था. सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर नजरबंद किया गया क्योंकि मैंने अलगाववादियों का विरोध किया था.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अमरनाथ यात्रा को खतरे का दावा करते हुए एक दिन पहले ही पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर खाली करने के लिए कह दिया था. इसके बाद टेलीफोन कनेक्टिविटी बंद कर दी गई. हालांकि, इससे पहले जम्मू कश्मीर में जब भी मोबाइल फोन बंद होते थे तो फिक्स्ड लाइनें काम करती थीं, लेकिन अगली सुबह सब कुछ काम करना बंद कर दिया.
'कश्मीर छोड़ने की अनुमति मांग रहे कश्मीरी पंडित'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर ने यह भी कहा कि हर हफ्ते, एक आतंकवादी हमले की सूचना मिलती है. राजौरी और पुंछ जैसे क्षेत्र जो आतंक मुक्त क्षेत्र थे, वहां अब आतंकी हमले देखने को मिल रहे हैं. जब मैं मुख्यमंत्री था तब वहां अल्पसंख्यकों पर कोई हमला नहीं हुआ था. कश्मीरी पंडित जो सरकारी नौकरियों और अन्य पैकेजों के साथ कश्मीर में फिर से बस गए थे, अब वे कश्मीर छोड़ने की अनुमति मांग रहे हैं.
यह भी पढ़ें: 'असम में लागू हुआ UCC तो बीजेपी की होगी मौत', हिमंत सरकार को बदरुद्दीन अजमल की चेतावनी