नई दिल्लीः देश में 21 जून को 85 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई गई. यह 5 अप्रैल को लगाए गए सर्वाधिक 43 लाख वैक्सीन से लगभग दोगुना है. इस नए रिकॉर्ड के साथ ही भारत के जल्द ही रोजाना एक करोड़ वैक्सीन लगाने के लक्ष्य के करीब पहुंचने की उम्मीद की जा रही है है. केंद्र सरकार ने अगस्त में हर दिन एक करोड़ वैक्सीन लगाने का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में सवाल आता है कि यदि एक दिन में 85 लाख खुराक का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है तो भारत को अपनी पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने में कितना समय लेगा?
2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु की आबादी 94.02 करोड़ है और बड़ी आबादी अभी भी अशिक्षित है. 20 जून के आंकड़ों के अनुसार, 22.87 करोड़ लोगों को एक डोज और 5.12 करोड़ को दोनों दी गई हैं. इसका अर्थ है कि भारत में 28 करोड़ लोगों को या तो पूर्ण या आंशिक रूप से वैक्सीन डोज मिल चुकी हैं. यानी देश को करीब 66.02 करोड़ लोगों का और टीकाकरण करना है.
66.02 करोड़ लोगों के टीकाकरण करना बाकी
66.02 करोड़ लोगों के टीकाकरण का मतलब है कि 66.02 करोड़ वैक्सीन खुराक एक डोज और 132.04 करोड़ वैक्सीन डोज इन लोगों को दो डोज देने के लिए चाहिए. अब यदि देश में प्रति दिन 85 लाख लोगों को टीका लगाने का प्रबंध होता है तो पूरी वयस्क आबादी को आंशिक रूप से टीकाकरण करने में 78 दिन लगेंगे.
132.04 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत
पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने के लिए भारत को 88.89 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना होगा. इसमें से 22.87 करोड़ ने पहली डोज प्राप्त कर ली है और पूरी तरह से वैक्सीनेट होने के लिए टीके की एक और खुराक की जरूरत है, यानी 22.87 करोड़ डोज. यह 66.02 करोड़ आबादी के लिए जरूरी 132.04 करोड़ वैक्सीन डोज के अतिरिक्त होंगी.
पूरी आबादी के टीकाकरण में लगेंगे 207 दिन
यदि हम प्रति दिन 85 लाख खुराक का टीकाकरण करते हैं तो 66.02 करोड़ लोगों को टीके की दो खुराक प्राप्त करने के लिए 176 दिनों की आवश्यकता होगी. जिसमें टीके की दोनों खुराक के बीच का अंतर भी शामिल है और साथ ही 22.87 करोड़ लोगों के लिए 31 दिनों का अंतर भी शामिल है. ऐसे में पूरी भारतीय आबादी को पूरी तरह से टीका लगाने के लिए 207 दिन की आवश्कता होगी.
फिलहाल तीन वैक्सीन का हो रहा इस्तेमाल
वर्तमान में भारत में तीन टीकों का उपयोग किया जा रहा है. कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी. तीनों दो-शॉट वैक्सीन हैं जिनकी पहली और दूसरी डोज के बीच अलग-अलग समय अंतराल है. कोविशील्ड के लिए यह 84 दिन, कोवैक्सीन के लिए 28 दिन और स्पूतनिक वी के लिए 21 दिन का समय निर्धारित है. भारत में अभी कोविशील्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी आपूर्ति की लगभग 10 करोड़ डोज की है. वहीं, कोवैक्सीन भी जुलाई तक अपने उत्पादन को 10 से 12 करोड़ डोज तक बढ़ाने का प्रयास कर रही है. स्पूतनिक वी अभी बड़े पैमाने पर रूस से आयात की जा रही है.
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