RSS-BJP Row: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के मणिपुर हिंसा पर दिए बयान के बाद से ही यह अटकलें लगाई जाने लगी कि बीजेपी और आरएसएस के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. इसके बाद आरएसएस के इंद्रेश कुमार ने भी बीजेपी को अहंकारी बता दिया, हालांकि आरएसएस ने उनके बयान से किनारा जरूर किया, लेकिन राजनीतिक महकमों इसे लेकर अब बहस छिड़ गई है.


'दो भागों में बंट चुकी है RSS'


एबीपी न्यूज के कार्यक्रम सीधा सवाल में वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने साफ-साफ कहा है कि आरएसएस दो भागों में बंट चुकी है. उन्होंने कहा, "ये बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि संघ परिवार दो धरों में बंटा हुआ है. एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी हैं और उनके साथ कुछ लोग हैं, वहीं दूसरी तरफ मोहन भागवत हैं. अगर यही नरेंद्र मोदी 300 सीटें लेकर आ जाते तो क्या मोहन भागवत बोलते पाते... वे नहीं बोलते. अब चूंकि बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई तो वो बोल रहे हैं."


जेपी नड्डा के बयान को लेकर RSS ने पूछा सवाल


आशुतोष ने आगे कहा, "मोहन भागवत अभी जो बोल रहे हैं, उसे वह पिछले 10 सालों सो बोलना चाह रहे थे. संघ के शीर्ष पर इस बात को लेकर पीड़ा है कि जिस तरीक से उनसे बातचीत होनी चाहिए, वो नहीं हो रही है. लोकसभा चुनाव के बाद एक मीटिंग हुई, जिसमें आरएसएस की तरफ से अरुण कुमार और कुछ पदाधिकारी थे. उस मीटिंग में बीजेपी की तरफ से भी बड़े नेता आए थे. इस मीटिंग में ये पूछा गया कि बीच चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि अब हम सक्षम हो गए हैं. आरएसएस की ओर से पूछा गया कि अगर आप सक्षम हैं तो बता दीजिए हम खुद को पीछे खींच लेंगे.



'संघ कुछ करवाना चाहता था जो नहीं हुआ'


बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पहली बार ये देखा गया कि उसमें पार्टी के पदाधिकारी और मुख्यमंत्री नजर आ रहे हैं. अगर वो एनडीए संसदीय दलों की बैठक थी, तो सभी दलों के 293 सांसद मौजूद होने चाहिए थे. इसके बाद मोहन भागवत का बयान आता है. इसका मतलब है कि संघ कुछ करवाना चाहता था जो नहीं हुआ. 


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