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सुदीक्षा मामले में न्याय नहीं मिला तो पत्नी और बच्चों समेत कर लूंगा आत्महत्या: पिता

सुदीक्षा मामले में बुलंदशहर की पुलिस का कहना है कि बाइक चलाने वाला शख्स सुदीक्षा का चाचा नहीं बल्कि एक नाबालिक था. सुदीक्षा के पिता ने कहा कि अगर इंसाफ नहीं मिला तो वो अपने परिवार के साथ आत्महत्या कर लेंगे.

नई दिल्ली: सुदीक्षा मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार इस बात पर जोर देने पर जुटी है कि बाइक सुदीक्षा के चाचा सतेंद्र भाटी नहीं, बल्कि चचेरा भाई चला रहा था, जो नाबालिग है. इतना ही नहीं पुलिस यह भी बता रही है कि हादसे के समय बुलेट बाइक सवारों ने अचानक से ब्रेक लगा दी थी, जिसकी वजह से सुदीक्षा की बाइक टकराई और सुदीक्षा व उसका भाई नीचे गिर गए. लेकिन पुलिस इस बात पर लगातार बचती नजर आ रही है कि बुलेट बाइक सवार युवक सुदीक्षा का पीछा कर रहे थे या नहीं.

उसकी बाइक के इर्द गिर्द घूमकर स्टंट बाजी कर उन्हें परेशान कर रहे थे या नहीं. आज इसी बात से तंग आकर सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी ने एबीपी न्यूज़ के सामने यह कहा कि अगर पुलिस व प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई नहीं करती है, तो मैं पत्नी और अपने बच्चों के साथ घटनास्थल पर जाकर ऐसा कदम उठा लूंगा कि मैं परिवार सहित सुदीक्षा के पास ही पहुंच जाऊंगा. फिर यह प्रशासन और पुलिस सबको जवाब देते फिरेंगे.

ऐसा क्यों कहा जितेंद्र भाटी ने

सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी से जब यह सवाल किया गया कि बुलंदशहर पुलिस ने आज यह कहा है कि बाइक सुदीक्षा के चाचा सतेंद्र भाटी नहीं, बल्कि उसका चचेरा भाई चला रहा था, जो कि एक नाबालिग है. साथ ही पुलिस ने यह भी कहा कि सतेंद्र भाटी के मोबाइल की लोकेशन से यह जानकारी मिली है कि जिस समय घटना हुई वह घटनास्थल से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है.

इतना ही नहीं एक चश्मदीद के बारे में भी बुलंदशहर पुलिस ने जिक्र किया और कहा प्रत्यक्षदर्शी ने बताया है कि दुर्घटना के समय एक टैंकर सामने से आ रहा था. टैंकर को आता देख बुलेट बाइक सवार ने अचानक से ब्रेक लगाई और उसके पीछे एक बाइक आ रही थी, जिस पर सुदीक्षा उसका भाई मौजूद थे. उन्होंने भी अचानक से ब्रेक मारी, जिसकी वजह से उनकी बाइक गिरी और यह हादसा हुआ है.

बुलंदशहर पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि बुलेट बाइक पर सवार युवक सुदीक्षा का पीछा कर रहे थे या नहीं. इस पर जितेंद्र भाटी से सवाल किया गया कि पुलिस अपनी जांच में इन तथ्यों को सामने रख रही है. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की मौत हो चुकी है. अब वापस नहीं आ सकती. पुलिस लगातार यह कह रही है कि बाइक सुदीक्षा का चचेरा भाई चला रहा था.

लेकिन पुलिस इस बात से बच रही है कि आखिर जो बुलेट बाइक वाले युवक हैं, वे सुदीक्षा को परेशान कर रहे थे. उनकी बाइक के आगे-आगे पीछे चल रहे थे, स्टंट कर रहे थे उन्हें परेशान कर रहे थे. इस तथ्य को बार-बार छुपाया जा रहा है. हमारी बात को अनसुना किया जा रहा है. आज मैं यह बात कह रहा हूं कि सुदीक्षा से प्यारा मुझे कोई नहीं है. वह अब हमारे बीच नहीं है. अगर पुलिस ने इस मामले में उचित जांच नहीं की तो मैं अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ उसी घटनास्थल पर जाकर ऐसा कदम उठा लूंगा कि हम सब सुदीक्षा के पास पहुंच जाएंगे.

जो बुलंदशहर के डीएम हैं और एसपी हैं कल वे बोल रहे थे कि सुदीक्षा का चचेरा भाई इंटर पास है और आज वही लोग बोल रहे हैं कि वह दसवीं पास है. वह प्रतिदिन अपनी बात से पलट रहे हैं. नई-नई बातें बोल रहे हैं और हम पहले दिन से यह बात बोल रहे हैं कि बुलेट सवार उसका पीछा कर रहे थे, उसे परेशान कर रहे थे, लेकिन इस बात पर कोई जांच नहीं की जा रही है.

सुबह एसआईटी की टीम ने पिता के बयान किये दर्ज

सुदीक्षा मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है. आज सुबह एसआईटी सुदीक्षा के गांव डेरी स्केनर पहुंची और सबसे पहले उन्होंने सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी से बात की और उनका बयान लिया. पुलिस से जब इस बात पर सवाल किया गया कि जो बात की जा रही है, बुलेट बाइक पर सवार लड़कों के पीछा करने कि उस विषय में आपकी क्या बात हुई? तो पुलिस इस सवाल से बचती नजर आई.

वहीं, सुदीक्षा के पिता जितेंद्र से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनसे उनकी, उनके बच्चों की और उनके परिवार की जानकारी ली है. बुलेट बाइक पर जो दो लड़के थे, जो पीछा कर रहे थे. हमसे उस विषय में कोई पूछताछ नहीं की. कोई सवाल नहीं किया.

सुदीक्षा बेहतर छात्रा ही नहीं एक समाजसेवी भी थी

सुदीक्षा के स्कूल मेट आज उसके परिजनों से मिलने पहुंचे और उनसे मिलकर उन्होंने शोक व्यक्त किया. सुदीक्षा के सहपाठियों से बात करने पर उन्होंने क्या कहा

- मेरा नाम नवीन है, सुदीक्षा एक होनहार लड़की थी और जो हर विषय में अव्वल थी. उसके अंदर कोई घमंड नहीं था.

- मेरा नाम सुमित है, और सुदीक्षा के बारे में मैं यही कहूंगा कि वह सोशल वर्क में बहुत आगे रहती थी. गांव-गांव जाकर बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाती थी और महिलाओं को जागरूक करने में उसका रुझान रहता था. इसके अलावा गरीब बच्चों को शिक्षा की ओर बढ़ाने के लिए काम करती थी.

मेरा नाम मनीष भाटी है और मैं सुदीक्षा से जूनियर था. मेरा इंटरैक्शन उनके साथ सबसे पहले एक डांस कंपटीशन में हुआ था. हमारी तैयारी शुरू हुई थी और हम काफी घबराए हुए थे कि हम कैसे जीतेंगे. किस तरीके से परफॉर्मेंस करेंगे तो सुदीक्षा दीदी ने हमें कहा था कि घबराने की जरूरत नहीं है. हमें सिर्फ प्रैक्टिस करनी है और परफॉर्मेंस देनी है. बाकी जो परिणाम आएगा उसे भगवान पर छोड़ देना है.

इसके अलावा जब एग्जाम की तैयारी कर रहे होते थे तो उनसे बात करते थे. वह हमेशा पॉजिटिविटी की बात करती थीं. वह हर किसी को आत्मबल प्रदान करती थीं. उनकी मौत से पूरे क्षेत्र को पूरे समाज को नुकसान पहुंचा है.

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