हेग, नीदरलैंड: कुलभूषण जाधव के मामले पर अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला आने का बाद अब इसपर अमल और जवाबदेही की गेंद पाकिस्तान के पाले में है. कॉन्सुलर संपर्क यानी भारत के अधिकारियों को जाधव से मुलाकात का मौका मुहैया कराने से लेकर जाधव को दी गई सज़ा-के-मौत की समीक्षा के कदम उठाना पाक की अंतरराष्ट्रीय मजबूरी होगी. वहीं आएसीजे के आदेश में हासिल राहत यदि पाकिस्तान मुहैय्या नहीं कराता है तो भारत के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक इस मामले को ले जा सकता है.
कुलभूषण मामले पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में चली कानूनी लड़ाई से जुड़े सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत इंतज़ार करेगा कि पाकिस्तान आईसीजे के फैसले को कब और कैसे लागू करता है. यदि भारत को राहत नहीं मिलती है तो अंतरराष्ट्रीय अदालत में इस मामले की शिकायत के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मामले को जाने का विकल्प खुला होगा.
सूत्रों का कहना है कि अदालत के फैसले का अनुपालन न होने पर यूएन चार्टर के अनुच्छेद 94 के सहारे भारत इस मामले को सुरक्षा परिषद में ले जा सकता है. यूएन चार्टर के मुताबिक यह हर सदस्य देश की ज़िम्मेदारी है कि वो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को माने. ऐसा न होने की स्थिति में प्रभावित दूसरे पक्ष को यह अधिकार है कि वो मामले को सुरक्षा परिषद के सामने ले जाए, जो ज़रूरत होने पर आवश्यक कदम उठा सकती है जिनसे अदालत का फैसला प्रभावी हो सके.
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसले में पाकिस्तान को इस बात के लिए दोषी करार दिया है कि उसने भारत को कुलभूषण जाधव से कॉन्सुलर सम्पर्क की इजाजत नहीं दी. आईसीजे ने इसे साफ तौर पर वियना संधि का उल्लंघन करार दिया है. सूत्रों के मुताबिक अदालत के फैसले के बाद भारत को कॉन्सुलर सम्पर्क के लिए किसी नई अपील की ज़रूरत नहीं है. भारत की 30 से ज़्यादा अपील और आग्रह की चिट्ठियां पाकिस्तान के पास मौजूद हैं. ऐसे में भारत की अपेक्षा यही है कि पाकिस्तान बिना कोई देर किए कॉन्सुलर सम्पर्क के लिए सूचित करे.
भारतीय खेमा इस बात को लेकर भी आश्वस्त है कि आईसीजे के आदेशानुसार कुलभूषण मामले की समीक्षा होने पर पाकिस्तान के लिए तथ्यों और साक्ष्यों के साथ तोड़मरोड़ करना बेहद मुश्किल होगा. लिहाज़ा कॉन्सुलर सम्पर्क होने और जाधव के लिए अच्छे वकील की नियुक्ति कर भारत अदालती लड़ाई को अच्छी तरह लड़ सकता है.