नई दिल्ली: कल गुजरात में सियासी गहमागहमी शांत हो गई लेकिन मतदाताओं ने किसे ताज पहनाया है यह राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है. एग्जिट पोल गुजरात की जनता के नब्ज को टटोलने का दावा करते हुए बीजेपी की एक बार फिर बहुमत की सरकार बनने का अनुमान लगा रहे हैं. 6 चैनलों के एग्जिट पोल यहां पढ़ें


रोज रंग बदलती गुजरात की राजनीति में पूरा देश दिलचस्पी ले रहा है. यह चुनाव देश के दो बड़े सियासी दलों की साख का ही सवाल नहीं है, बल्कि इसके नतीजे 2019 लोकसभा चुनाव की पटकथा भी लिखेगा. इसीलिए इस चुनाव को सियासी गलियारे में 2019 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है. अब यह चुनाव 2019 के लिए कैसा रास्ता दिखाएगा. राहुल गांधी के लिए कितना मायने रखता है, यह समझना बहुत जरूरी है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी नए अंदाज में नजर आए थे. चुनाव प्रचार के समय उनके भाषणों में भी परिपक्वता नजर आ रही थी. सोशल मीडिया जो कि शुरूआत से ही बीजेपी का मजबूत पक्ष रहा है वहां भी इस चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों ही जमकर बाजेपी और पीएम मोदी को घेर रहे थे.

गुजरात में इस बार चाहे पटेल आरक्षण का मुद्दा हो या फिर जातिगत समीकरण हर मुद्दों पर कांग्रेस बढ़त बनाती नजर आ रही थी. सियासी गलियारे में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर इन तीन गुजरात के लड़कों का साथ भी राहुल के लिए सकारात्मक पहलू माना जा रहा था. लेकिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश के एग्जिट पोल के आंकड़ों ने सारा गणित ही बदल कर रख दिया है. दोनों ही राज्यों में बीजेपी स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है.

इन एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद एक तरफ तो कांग्रेस के भविष्य पर सवाल उठने ही लगे हैं तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. अगर यह पोल सच साबित होते हैं तो राहुल अध्यक्ष बनने से पहले जिस तेवर और आत्मविश्वास के साथ गुजरात चुनाव में उतरे थे बीजेपी उसी को मुद्दा बनाकर उन पर पटलवार भी करेगी.

कांग्रेस पार्टी में उठ सकते हैं राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल

हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने को लेकर बगावत कर दी थी. शहजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर सवाल उठाए थे. एग्जिट पोल के आंकड़े अगर सच साबित होते हैं तो इस तरह के कई और विरोधी स्वर उठने की संभावना बढ़ जाएगी.

आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जो कि बीजेपी शासित राज्य हैं. इस हार के बाद बीजेपी से सीधे मुकाबले में कांग्रेस की डगर आसान नहीं होगी.

2019 में बीजेपी मजबूती से सामने आएगी

केन्द्र के साथ-साथ कई राज्यों में सत्ताधारी बीजेपी के लिए यह जीत प्रेरणा के रूप में काम करेगी. एग्जिट पोल के आंकड़े अगर सच साबित होते हैं तो एक बार फिर गुजरात मॉडल बीजेपी के लिए मुद्दा बन जाएगा. पीएम मोदी के नेतृत्व के साथ बीजेपी 2019 के लिए और भी मजबूती से सामने आएगी.

यूपीए के सहयोगी दलों में राहुल के नेतृत्व की स्वीकार्यता कम हो सकती है

अगर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार होती है तो बीजेपी गुजरात में सत्ता में वापसी तो करेगी ही साथ ही साथ हिमाचल भी कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगा ऐसे में यूपीए के जो सहयोगी दल हैं उनमें राहुल के नेतृत्व की स्वीकार्यता कम होगी.

मोदी लहर की होगी पुष्टि

2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी जिस प्रकार से लगभग हर चुनाव में पीएम मोदी को चुनावी चेहरा बनाती रही है ऐसे में एक बार फिर से मोदी लहर को नकार पाना विपक्ष के लिए मुश्किल होगा.