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मुख्यमंत्री अगर बात सुनते तो मुझे बार-बार दिल्ली ना जाना पड़ता: कैबिनेट मंत्री राजभर

राजभर ने यूपी के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, "सांसद और विधायक (आदित्यनाथ) सरकार से नाराज क्यों हैं? वे अपनी शिकायतें बताने के लिए दिल्ली क्यों जा रहे हैं? विधायक नाराज क्यों हैं और प्रदर्शन पर क्यों बैठे हैं?"

लखनऊ: अपने बयानों से पहले भी कई बार यूपी सरकार को असहज कर चुके कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी बात सुनते तो उन्हें बार-बार दिल्ली जाकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात ना करनी पड़ती. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के मुखिया राजभर ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर "गठबंधन धर्म" नहीं निभाने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ बने रहने पर पुन:विचार कर सकती है.

राजभर ने मीडिया से कहा, "बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जब आगामी 10 अप्रैल को लखनऊ आएंगे तो मैं उनके साथ कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करूंगा और उसके बाद अपनी पार्टी के आगे के कदम के बारे में निर्णय करूंगा." उन्होंने कहा कि यदि शाह एसबीएसपी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर सहमत नहीं होते हैं तो पार्टी गठबंधन पर पुनर्विचार करेगी.

राजभर ने यूपी के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, "सांसद और विधायक (आदित्यनाथ) सरकार से नाराज क्यों हैं? वे अपनी शिकायतें बताने के लिए दिल्ली क्यों जा रहे हैं? विधायक नाराज क्यों हैं और प्रदर्शन पर क्यों बैठे हैं?"

हाल में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में की गई नियुक्तियों के बारे में उन्होंने कहा, "बीजेपी के नारे 'सबका साथ, सबका विकास' को नारा लागू नहीं किया जा रहा है क्योंकि ऊंची जाति के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं के रिश्तेदारों को नियुक्त किया गया है. अब मुझे बताइए कि पिछड़ी और अनुसूचित जाति के लोग कहां जाएंगे?"

उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठकों में सभी के विचार सुने जाते हैं लेकिन निर्णय केवल चार..पांच लोगों द्वारा किया जाता है. यदि हमने आपके लिए वोट किया है, तो हमारी बात भी सुनी जानी चाहिए."

पिछले महीने ही नाराज चल रहे राजभर अपनी शिकायतों को लेकर दिल्ली गए थे और बीजेपी अध्यक्ष शाह से मुलाकात की थी. वह कुछ नरम होकर लौटे क्योंकि शाह ने 10 अप्रैल को राज्य की राजधानी आने और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उनकी बात सुनने का वादा किया था.

उन्होंने कहा, "मैं आपको 10 अप्रैल के बाद बताऊंगा कि बीजेपी क्या चाहती है और ओम प्रकाश राजभर क्या चाहते हैं." उन्होंने एक सवाल पर कहा, "यदि वह (शाह) हमारी ओर से उठाये गए मुद्दों से सहमत नहीं होते हैं उस हालत में हमें गठबंधन पर पुनर्विचार करना होगा." राज्यसभा चुनाव से पहले राजभर ने चेतावनी दी थी कि उनके चार विधायक मतदान का बहिष्कार करेंगे.

एसबीएसपी नेता इसके भी आलोचक हैं कि मुख्यमंत्री का चयन राज्य में राजग के चुने गए 325 विधायकों में से नहीं किया गया (इनमें से बाद में एक की मृत्यु हो गई). राजभर ने कहा "ये जो 325 विधायक चुने गये, इन्हीं के बीच से किसी को नेतृत्व दिया जाना चाहिये था."

उन्होंने कहा, "अब उनके यानी बीजेपी के अपने सांसद और विधायक ही उनके खिलाफ बोल रहे हैं और धरने पर बैठ रहे हैं. वहीं जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के आने वाले बयानों को देखिए ऐसा कुछ जरूर होगा जो वे इस तरह से बोल रहे हैं."

वह इटावा से सांसद अशोक कुमार दोहरे और नगीना से सांसद यशवंत सिंह की ओर इशारा कर रहे थे जिन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की है. इससे पहले राबर्ट्सगंज से लोकसभा सांसद छोटेलाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आदित्यनाथ पर उन्हें तब "डांटने" का आरोप लगाया था जब वह उनके समक्ष एक मुद्दे को लेकर गए थे.

यह जिक्र करते हुए राजभर ने कहा "बीजेपी सांसद छोटेलाल खरवार का बयान तो आपने अखबार में देखा ही होगा. बलिया में सदर बीजेपी विधायक जिलाधिकारी के खिलाफ धरने पर बैठे थे. बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेन्द्र सिंह, भदोही के विधायक दीनानाथ भास्कर को देख लीजिये. बस्ती में सांसद और विधायक आठ घण्टे तक थाने में ही बैठे रह गये."

मीडिया की ओर से पूछे गए एक सवाल पर राजभर ने कहा "मुख्यमंत्री जी अगर मेरी बात मानते तो हम दिल्ली क्यों जाते. मेरी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बीजेपीनीत गठबंधन का घटक दल है. हमारे कहने के बावजूद सीएम ने एक जिलाधिकारी को हटाने में तीन महीने लगा दिये. ये बहुत बड़ी बात है. अगर एक कैबिनेट मंत्री कहे तो गलत कर रहे जिलाधिकारी को एक घंटे के अंदर हट जाना चाहिये."

राजभर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में हजारों लोगों का राशन कार्ड नहीं बना है, उन्हें आवास और पेंशन नहीं मिल रही है. कागज पर सब चीजें दुरुस्त बताकर सीएम योगी के पास भेज दी जाती हैं और वह उन्हीं को सही मान लेते हैं. मालूम हो कि राजभर पहले भी अपने बयानों से सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं.

उन्होंने हाल में सरकार के अधिकारियों पर मनमानी करने और जनप्रतिनिधियों की बात ना सुनने का आरोप लगाते हुए सरकार को घेरा था. सुभासपा ने पिछली विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें उसके चार विधायक जीते थे. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में बाजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 324 विधायक हैं.

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