नई दिल्ली: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में साल 1977 वाली स्थिति नजर आती है. उस वक्त एक इंदिरा गांधी को हराने के लिए विपक्ष एकजुट हुआ था. जेपी के नेतृत्व में एक छतरी के नीचे तब मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, बाबू जगजीवन राम, राज नारायण और जेबी कृपलानी जैसे नेता जमा हुए थे. तो अब मोदी के विरोध में राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं की कतार है.


1977 में बनी थी जनता पार्टी की खिचड़ी सरकार


जानकारों के मुताबिक, साल 1977 में जनता पार्टी की खिचड़ी सरकार बनी थी. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे और चौधरी चरण सिंह बनना चाहते थे. इसके बाद पार्टी में खेमेबाजी शुरू हो गई और अंत पार्टी टकी टूट से हुआ. इसका परिणाम ये निकला की तीन साल के भीतर साल 1980 में कांग्रेस सत्ता में लौट आई. तो क्या इस गठबंधन का अंजाम भी कुछ वैसा ही होने वाला है? क्योंकि हर पार्टी के एजेंडे में अपना ही दूरगामी हित छिपा हुआ है.


1979-80 में गिर गई थी जीडीपी ग्रोथ


साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद 1978 में 54 मल्टीनेशनल कंपनियों ने देश छोड़ दिया था. कोकाकोला, आईबीएम, कोडैक जैसी कंपनियां देश से चली गईं थी. हालत ये हुई कि 1977 में जो जीडीपी ग्रोथ रेट 7.47% थी, 1979-80 में गिर कर -5.20% फीसदी पर पहुंच गई.


गठबंधन सरकारों का अध्ययन




  • राजीव गांधी की स्थाई सरकार में कंप्यूटर क्रांति हुई. तो वीपी सिंह की गठबंधन सरकार में रक्षा मंत्री रहते हुए मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद को बचाने के लिए आतंकियों को छोड़ दिया गया था.

  • चंद्रशेखर की गठबंधन सरकार में देश का सोना गिरवी रखा गया तो नरसिम्हा राव की मजबूत सरकार में इकनॉमिक रिफॉर्म हुए.

  • देवेगौड़ा से गुजराल की सरकार आते-आते ग्रोथ रेट 7.97 फीसदी से गिरकर 4.30% पर आ गया. तो अटल जी की मजबूत सरकार में परमाणु परीक्षण किया गया.


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