Delhi-Meerut Rapid Rail: तीन साल में विज्ञापन पर 1,100 करोड़ खर्च तो इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी पैसा दो- दिल्ली सरकार को SC की फटकार
Supreme Court on Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह भी आदेश दिया कि दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट की बकाया राशि भी दो महीने के अंदर जमा करें.
SC on Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जुलाई) को दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) में देरी को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि जब तीन सालों में सरकार विज्ञापनों पर एक करोड़ रुपये खर्च कर सकती है तो इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी फंड देना चाहिए.
कोर्ट आरआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान, कोर्ट ने कहा कि जब विज्ञापनों के लिए पिछले 3 सालों में 1,100 करोड़ रुपये आवंटित किए जा सकते हैं तो प्रोजेक्ट के लिए फंड दिया जाना भी मुमकिन है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच केस की सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार की तरफ से जो राशि लंबित है, उसका भुगतान भी दो महीने के अंदर कर दिया जाए.
कोर्ट ने मांगा था विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा
कोर्ट पहले भी फंड को लेकर दिल्ली सरकार से कह चुका है. इसी महीने की शुरुआत में फंड को लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार की फटकार लगाई थी और सरकार से विज्ञापनों पर खर्च की गई रकम का तीन साल ब्योरा भी मांगा था. दरअसल, सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि उसके पास फंड नहीं है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि तीन सालों में आपकी सरकार ने विज्ञापनों पर कितना खर्च किया है, इसकी जानकारी दें.
दिल्ली सरकार ने कहा- किया जाएगा फंड आवंटित
आज सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए फंड आवंटित कर दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से दो महीने के अंदर लंबित राशि का भी भुगतान कर दिया जाएगा.
दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा RRTS
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एक सेमी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर है, जिसका काम चल रहा है. इस कॉरिडोर के बनने से दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए काफी सुविधा हो जाएगी. यह दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा. रैपिडक्स प्रोजेक्ट ने तीन रैपिड रेल कॉरिडोर की योजना बनाई है, आरआरटीएस भी उसी का हिस्सा है.