PM Nobel Prize: BSE निदेशक आशीष चौहान बोले- प्रधानमंत्री मोदी नोबेल प्राइज के हकदार
PM deserves Nobel Prize: आशीष चौहान IIM कलकत्ता के 57वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे.
BSE Director Chauhan statement: BSE के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष चौहान ने शुक्रवार को कहा कि कोविड -19 महामारी के बीच किए गए मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार समिति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को नोबेल शांति पुरस्कार देने पर विचार करना चाहिए. चौहान IIM कलकत्ता के 57वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे. अपने दीक्षांत भाषण में, चौहान ने दावा किया कि महामारी के बीच केंद्र सरकार द्वारा 80 करोड़ से अधिक लोगों को जो मुफ्त राशन वितरण किया गया वह "संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम" की तुलना में लाभ प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में अधिक था, जिसे 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
उन्होंने कहा कि हम सरकार के आभारी हैं कि उन्होंने हमें सभी सुविधाएं प्रदान की और कोविड -19 महामारी के समय में और अब भी 80 करोड़ लोगों को राशन प्रदान कर रहे हैं. मुफ्त राशन की योजना, जिसे 'प्रधा मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना' के नाम से जाना जाता है, इसने गरीब भारतीय नागरिकों को अराजकता और दुख से बचाया है. हम हाल के वीडियो में चीन जैसे देशों में हो रहे हालात देख रहें हैं. दो साल से अधिक समय तक मुफ्त भोजन पाने वाले लोगों की संख्या पूरे यूरोप या पूरे अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा या सभी दक्षिण अमेरिकी देशों की आबादी से अधिक है.
WFP को 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार
वो आगे कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम WFP ने भारत के 80 करोड़ लोगों की तुलना में 11.55 करोड़ लोगों को आंशिक सहायता प्रदान की है. यह 2020, 2021 और 2022 में भारत द्वारा समर्थित समर्थन का लगभग 14 प्रतिशत था, क्या इसका मतलब यह है कि नोबेल शांति पुरस्कार समिति नोबेल शांति पुरस्कार देने के लिए मानवीय उपलब्धि के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकारों को गंभीरता से देखेगी? WFP जो दुनिया भर में लाखों लोगों को खाद्य सहायता प्रदान करता है वो भी बेहद खतरनाक और कठिन परिस्थितियों में जिस वजह से इस संस्था को 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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