IIM कोलकाता की पहली महिला निदेशक अंजू सेठ ने पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या रही बड़ी वजह
कार्यकाल पूरा होने से एक साल पहले ही IIM कोलकाता की पहली महिला निदेशक अंजू सेठ ने पद से इस्तीफा दे दिया है. जहां अंजू सेठ ने बोर्ड अध्यक्ष पर पावर्स का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है तो वहीं बोर्ड ने अंजू सेठ पर अनुचित आचरण करने का आरोप लगाया है.
आईआईएम-कलकत्ता के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (BoG) द्वारा पावर्स खत्म किए जाने के एक महीने बाद संस्थान की पहली महिला निदेशक अंजू सेठ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका कार्यकाल एक साल बाद फरवरी 2022 को पूरा होने वाला था. गौरतलब है कि अंजू सेठ ने अपना इस्तीफा सिक लीव लेने के दो दिन के अंदर ही सरकार को सौंप दिया. उन्होने लीव पर जाने के साथ ही प्रशांत मिश्रा, डीन को आईआईएम कलकत्ता के कार्यवाहक निदेशक की जिम्मेदारी दी थी.
अंजू सेठ ने बोर्ड के अध्यक्ष श्रीकृष्ण कुलकर्णी पर लगाए थे गंभीर आरोप
अंजू सेठ ने उनके और बोर्ड के अध्यक्ष श्रीकृष्ण कुलकर्णी के बीच "विश्वास के टूटने" का हवाला दिया है. बता दें कि अंजू सेठ और बोर्ड के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर पिछले साल ही शुरू हुआ था. अंजू सेठ द्वारा बोर्ड के अध्यक्ष श्रीकृष्ण कुलकर्णी पर एग्जीक्यूटिव पावर्स को नियंत्रित करने का आरोप लगाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने कुलकर्णी पर अपने अधिकारों का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था.अंजू सेठ ने ये भी शिकायत की थी कि उनके काम में अनुचित हस्तक्षेप किया जाता है.
बोर्ड ने अंजू सेठ पर अनुचित आचरण का लगाया आरोप
इसके उल्ट बोर्ड ने अंजू सेठ पर आरोप लगाया है कि उनका आचरण अनुचित था. दिसंबर महीने में आईआईएम-कलकत्ता संकाय के एक वर्ग द्वारा शिक्षा मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया था जिसमें आरोप लगाए गए थे कि अंजू सेठ के पास केंद्रीकृत पॉवर्स हैं और उन्होने बोर्ड की निर्णय लेने वाली भूमिका का उल्लंघन किया है.
साल 2018 में बनी थीं निदेशक
गौरतलब है कि अंजू सेठ को साल 2018 के नवंबर महीने में आईआईएम कलकत्ता की पहली महिला निदेशक के पद पर नियुक्ति किया गया था. वह आईआईएम कलकत्ता 1978 बैच की पूर्व छात्रा भी रही हैं. वहीं एक समाचार पत्र से बातचीत के दौरान अंजू सेठ ने अपने इस्तीफे को लेकर कहा कि, "मैं निराश हूं क्योंकि मैं एक सपने को आंशिक रूप से पूरा करके छोड़ रही हूं, यह वह नहीं है जो मैंने मांगा था. फिर भी मुझे गर्व है कि मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की और मैंने उन पारंपरिक बाधाओं को दूर किया जो आईआईएम कलकत्ता के लिए एक विश्वस्तरीय संस्था के रूप में उभरने के अवसर को रोक रही थीं.
उन्होंने कहा कि, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में, संस्थान कोर मूल्यों के रूप में पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति पर निर्माण करना जारी रखेगा. मुझे कई समर्पित और प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है और मैं उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं. मैं आईआईएम कलकत्ता की एक गौरवशाली एलुमनी बनकर हमेशा रहूंगी."
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