मुंबई: राष्ट्रविरोध बनाम राष्ट्रभक्त की चर्चा के बीच आईआईटी मुंबई ने अपने छात्रों को 'राष्ट्रविरोधी गतिविधियों' से दूर रहने की चेतावनी जारी की है. डीन ऑफ स्टूंडेट अफेयर्स की तरफ से हॉस्टल के छात्रों को 15 बिंदुओं का मेल जारी किया गया है. जिसमें कई बातों पर अमल करने के साथ ही हॉस्टल में बैनर, पोस्टर बिना इजाजत बांटने को मना किया गया है. इसके अलावा भाषण, नाटक, म्यूजिक या पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली गतिविधि की भी इजाजत नहीं दी गई है.
इसके साथ ही सभी छात्रों से हॉस्टल के अंदर और बाहर विनम्र रहने की अपेक्षा की गई है. ऐसे में सवाल पूछा जा रहा है कि राष्ट्र विरोधी गतिविधि क्या है, कौन तय करेगा इसके बारे में. मगर अभी तक संस्थान की तरफ से नहीं बताया गया है. 15 बिंदुओं को सख्ती से लागू करने की बात पर संस्थान के प्रवक्ता ने कहा कि ये नये नियम नहीं है.
क्यों जारी हुआ फरमान
नागरिकता कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस ने हिंसात्मक कार्रवाई की थी. जिसके बाद देश की कई यूनिवर्सिटी और संस्थानों में आंदोलन शुरू हो गया. छात्रों ने पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ बाहर निकल जामिया के छात्रों का समर्थन किया. आईआईटी मुंबई के छात्रों ने भी इंडिया गेट पर विरोध मार्च निकाल जामिया के छात्रों की हिमायत की.
नागरिकता कानून के खिलाफ आईआईटी कानपुर के छात्रों ने भी फैज अहमद फैज की नज्म पढ़ विरोध जताया. जिसके बाद आईआईटी प्रशासन ने फैज अहमद फैज के नज्म की जांच के लिए कमेटी बिठा दी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने छात्रों पर पुलिसिया हमले की तुलना जांलियाला बाग से की थी.
क्या है नागरिकता कानून
भारत सरकार के मुताबिक नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से मुस्लिमों को छोड़कर आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि ये कानून नागरिकता छीनने का नहीं नागरिकता देने का है जबकि विरोधी इसे भारत के संविधान के खिलाफ बता रहे हैं.
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