(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हिंदुत्व पर दिल्ली-IIT की प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी के बयान पर बवाल, जानें विदेशी मीडिया के साथ इंटरव्यू में क्या बोलीं
दिव्या द्विवेदी आईआईटी दिल्ली में ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंस विभाग में एसोशिएट प्रोफेसर हैं. जी20 सम्मेलन पर इंटरव्यू के दौरान उन्होंने हिंदुत्व पर कुछ ऐसी बातें बोली हैं, जिस पर विवाद शुरू हो गया.
आईआईटी दिल्ली की एसोशिएट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी के हिंदुत्व पर बयान ने नया विवाद शुरू कर दिया है. विदेशी मीडिया के साथ उनके इंटरव्यू का एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है, जिसमें वह हिंदुत्व के बिना भारत के भविष्य की बात कर रही हैं. रविवार (10 सितंबर) को उन्होंने विदेशी चैनल फ्रांस 24 को जी20 सम्मेलन को लेकर इंटरव्यू दिया था.
आईआईटी दिल्ली के ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंस विभाग में दिव्या द्विवेदी एसोशिएट प्रोफेसर हैं. 'इंडियाज मोमेंट: वॉट स्टेक्स एट दिल्ली G20 समिट?' पर इंटरव्यू में दिव्या ने कहा, 'दो भारत हैं. बहुसंख्यक आबादी को दबाने वाले नस्लीय व्यवस्था का अतीत का भारत और भविष्य का भारत है, जो जाति उत्पीड़न और हिंदुत्व के बिना समानतावादी भारत है. यह वह भारत है, जिसका अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं किया गया, लेकिन वह इंतजार क रहा है, दुनिया को अपना चेहरा दिखाने के लिए तरस रहा है.'
और क्या बोलीं दिव्या द्विवेदी
इंटरव्यू में दिव्या से सरकार द्वारा किए गए डिजिटिलीकरण और वैश्वीकरण मुद्दों पर भी उनकी राय पूछी गई. फ्रांसिसि पत्रकार ने एक उदाहरण देते हुए दिव्या से कहा कि कैसे एक रिक्शाचालक ने उन्हें समझाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल जैसे तकनीकी विकासों ने उन्हें न सिर्फ ग्राहकों बल्कि पूरी दुनिया से जुड़ने और व्यवसाय बढ़ाने में मदद की है. दिव्या ने ऐसी कहानियों को मीडिया-टाइज्ड करार दिया.
ट्विटर पर हो रहा विरोध
दिव्या ने कहा, '300 साल से भी ज्यादा समय से जातीय तौर पर भारत में नस्लीयकरण देखा गया है. अल्पसंख्यक उच्च जाति के लोग देश के 90 फीसदी शक्तिशाली पदों पर बैठे हैं, जो आज तक हो रहा है.' उन्होंने कहा कि नस्लीय दबाव और धर्म के नाम पर छल के कारण ऐसी स्थिति आई है. उनके इन बयानों का X (ट्विटर) पर कड़ा विरोध हो रहा है और सनातन धर्म के अपमान और वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भारत के खिलाफ नफरत फैलाने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बात करते हुए दिव्या ने कहा कि जी20 अमीर और गरीब देशों से संबंधित है. पूरी दुनिया में कहीं भी सिर्फ जीडीपी के आधार पर देश की प्रगति को नहीं मापा जा सकता. सबसे अमीर देशों में भी जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक मुद्दों के कारण गरीबी जैसी स्थिति आ सकती है. गरीबी वैश्विक मुद्दा है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस सच को स्वीकार करना चाहिए.