President Droupadi Murmu in IIT Kharagpur: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत दुन‍िया की सबसे प्राचीन ज्ञान परंपरा वाला इतना विशाल देश है, लेक‍िन एक भी शिक्षण संस्थान शीर्ष 50 वैश्विक संस्थानों में शामिल नहीं है. इस पर विचार करने की बेहद जरूरत है. राष्‍ट्रपत‍ि मुर्मू ने सोमवार (18 द‍िसंबर)  को पश्‍च‍िम बंगाल के खड़गपुर आईआईटी के 69वें दीक्षांत समारोह में श‍िरकत की थी. 


न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताब‍िक, समारोह को संबोधित करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने रैंकिंग से ज्‍यादा अच्छी शिक्षा की आवश्यकता पर बल द‍िया. उन्‍होंने यह भी स्वीकार किया कि एक अच्छी रैंकिंग न केवल दुनिया भर के छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करती है, बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है. वहीं, उन्‍होंने इस बात को भी पुरजोर तरीके से रखा क‍ि रैंकिंग की दौड़ अच्छी शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है.  


मुर्मू ने देश के सबसे पुराने संस्थान आईआईटी खड़गपुर से इस दिशा में प्रयास करने का आह्वान किया. उन्‍होंने कहा कि आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थानों को नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से अहम भूमिका निभानी होगी. प्रौद्योगिकी विकसित करने और इसे लागू करने के लिए क्रांतिकारी प्रयास करने होंगे. 
 
राष्ट्रपति ने भारत सरकार की आईआईटी के अंतरराष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण करने की नीति के साथ जुड़ने के लिए संस्थान की सराहना की. 


वैश्विक संस्थानों के साथ गठबंधन-सहयोग पर काम कर रहा संस्‍थान 


उन्होंने कहा क‍ि आईआईटी खड़गपुर अन्य वैश्विक संस्थानों के साथ गठबंधन और सहयोग पर काम कर रहा है. यह कदम ना सिर्फ आईआईटी खड़गपुर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में मदद करेगा बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में भी बड़ा कदम होगा. सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सभी को प्रौद्योगिकी का अधिकार होना चाहिए. 


राष्ट्रपति ने डिजिटल भुगतान स‍िस्‍टम का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे टेक्‍नॉलोजी ने जीवन को सरल बना दिया है, यहां तक कि छोटे व्यापारियों को भी इससे बड़ा फायदा हुआ है. 


'संस्थान ने 73 सालों में तैयार कीं महान प्रतिभाएं' 


मुर्मू ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि आईआईटी की वैश्विक प्रतिष्ठा है. आईआईटी को प्रतिभाओं और प्रौद्योगिकी का 'इन्क्यूबेशन सेंटर' माना जाता है. इस संस्‍थान को देश का पहला ऐसा संस्थान होने का गौरव प्राप्त है. इस संस्थान ने अपनी 73 साल की यात्रा में महान प्रतिभाओं को तैयार किया है और देश के विकास में इसका योगदान अतुलनीय है. 


राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत नई ऊंचाइयों को छूने के साथ-साथ नए मानक स्थापित कर रहा है और एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है. हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना से दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए तत्पर हैं. भारत के इस अमृत काल में प्रौद्योगिकी से ही स्वर्ण युग आएगा. 


ड‍िग्री हास‍िल करने वालों में 21 फीसदी छात्राएं 


दीक्षांत समारोह में राष्‍ट्रपति ने ज‍िन छात्रों को ड‍िग्री प्रदान की उनमें से 21 प्रतिशत छात्राएं थीं. इसको रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा क‍ि और अधिक छात्राओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढ़ाई के लिए आगे आना चाहिए. 


'2030 तक संस्‍थान दुनिया के शीर्ष 10 संस्थानों में होगा शामिल'  


इस अवसर पर आईआईटी के निदेशक वी.के. तिवारी ने कहा कि 2030 तक संस्‍थान दुनिया के शीर्ष 10 संस्थानों में शामिल होगा. समारोह के दौरान करीब 3,200 छात्रों को डिग्री प्रदान की गईं.


संस्‍थान ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई समेत इनको दी मानद उपाध‍ि


इस साल संस्थान ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (उनकी अनुपस्थिति में), प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उद्यमी रवींद्र नाथ खन्ना और उद्यमी अजित जैन को डीएससी की मानद उपाधि प्रदान की. संस्थान ने रामचंद्र प्रभाकर गोकम को 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया. 


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