IITian Gorakh Baba: महाकुंभ के पहले स्नान पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब देखने को मिला. अब तक ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं. इस बार का महाकुंभ अपने भव्य और दिव्य स्वरूप के लिए खास चर्चा में है. महाकुंभ में साधु-संतों और बाबाओं ने विशेष आकर्षण बटोर रखा है. इनमें से एक ‘गोरख बाबा’ भी हैं, जिन्हें आईआईटियन बाबा के नाम से आज-कल जाना जा रहा है.


इस आईआईटियन बाबा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिस पर यूजर्स अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कुछ यूजर्स ने व्यंग्य करते हुए कहा कि बेरोजगारी ने IITian को साधु बना दिया तो किसी ने कहा यह बाबा तो '3 इडियट्स' के रैंचो का अपग्रेडेड वर्जन है. हरियाणा के रहने वाले गोरख बाबा का असली नाम अभय सिंह है. उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. अपने ज्ञान और स्पष्ट संवाद शैली के कारण वे महाकुंभ में काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं. गोरख बाबा का जीवन विज्ञान से आध्यात्म तक की यात्रा का प्रतीक है.


बच्चों को फिजिक्स भी पढ़ाई
हंसराज मीणा के एक्स हैंडल से पोस्ट किए गए वायरल वीडियो में गोरख बाबा बताते दिख रहे कि इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने फोटोग्राफी में रुचि दिखाई और इसे करियर बनाने का प्रयास किया. इस दौरान उन्होंने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बच्चों को एक साल तक फिजिक्स की कोचिंग भी पढ़ाई, ताकि फीस भर सकें.


'ज्ञान के पीछे चलते जाओ'
उन्होंने कहा कि जीवन में दर्शनशास्त्र और अध्यात्म के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें साधु बनने के मार्ग पर आगे बढ़ाया. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने विज्ञान से अध्यात्म की ओर रुख क्यों किया तो उन्होंने कहा, “ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ... कहां जाओगे. इससे अच्छा तो कुछ है ही नहीं.”





गोरख बाबा बने सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र
महाकुंभ-2025 में आए आईआईटीयन 'गोरख बाबा' इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. बता दें कि वीडियो को सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफॉर्म से शेयर किया गया है, जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स वीडियो को लेकर तरह तरह के रिएक्शन दे रहे हैं.




एक यूजर @garvirawat ने लिखा, "अभय सिंह की कहानी बेरोजगारी के बढ़ते संकट और युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव को उजागर करती है, साथ ही यह भी बताती है कि कैसे एक प्रतिभाशाली युवा को अपनी राह बदलने पर मजबूर होना पड़ा." तो वहीं एक और यूजर @SatishC29837942 ने लिखा, "यह जरूरी नही धन संपत्ति पद पैसे और ऐसो आराम की भौतिक वस्तुओं से ही मानसिक शांति मिलती है, अगर ऐसा होता तो राजकुमार सिद्धार्थ भरा पुरा परिवार और राजपाठ त्याग कर मन की शांति और ज्ञान की प्राप्ति के लिए चीवर धारण कर वैराग्य मे लीन नही होते.


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