नई दिल्ली: दिल्ली में हुई हिंसा में कई लोग गोलियों का शिकार बने. जी.टी.बी अस्पताल में 28 लोग भर्ती हुए थे उनमें से 8 ऐसे थे जिन्हें गोली मारी गई थी. दिल्ली में हुई हिंसा में जमकर अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया गया. सूत्रों के मुताबिक हिंसा में करीब पांच सौ राउंड से ज्यादा गोलियां चली हैं. हिंसा में गोलियों का इतनी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल परेशानी का सबब बन सकता है वो भी तब जब लाइसेंस देने में 49% कमी आयी है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में 1174 लाइसेंस विभिन्न हथियारों के लिए जारी किए गए थे लेकिन ये आंकड़ा 2018 में घटकर 574 हो गया.


हिंसा स्थल पर कारतूस के खोके बरामद किए गए जिन्हें फिर पुलिस ने जांच के लिए जमा कर लिया. पिस्टल और देसी तमंचे से घायल कई लोग जख्मी अवस्था में अस्पताल पहुंचे. इससे पहले 1984 में और 1992 में हुई हिंसा में गोली लगने की घटनाएं इस से कम थी. राजधानी दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में गोलीबारी की ये पहली घटना है.


इस हिंसा की एक बड़ी वजह है आसानी से इन अवैध हथियारों को उपलब्ध होना और सवाल ये भी उठता है की आखिर इतनी बड़ी संख्या में कैसे लोगों को अवैध हत्यार उपलब्ध हो रहें हैं. जो लोग इन हत्यारों को ये असलहे मुहैया करवा रहें हैं आखिर पुलिस ने उनपर नकेल क्यों नहीं कसी. उपद्रवियों का इतनी बड़ी संख्या में अवैध हत्यारों का इस्तेमाल करना चिंताजनक है.


पुलिस को ऐसा शक है कि नार्थ ईस्ट दिल्ली में अवैध हथियारों के जखीरे पाए जा सकते हैं. वहीं एक्सपर्ट की मानें तो इन क्षेत्रों के बदमाशों ने बेरोज़गार युवाओं को हथियार पकड़ा दिए जिससे गोली बारी की घटनाओं में इतना इज़ाफ़ा हुआ.एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में हथियारों की बरामदगी वर्ष 2016 से 2017 के बीच 53 फीसदी तक बढ़ी है.2016 में 902, 2017 में 1381 और 2018 में 1905 अवैध हथियार बरामद किए गए थे.


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