बटला हाउस मामले में IM आतंकी आरिज खान को मिली फांसी की सजा, कोर्ट ने माना 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' की श्रेणी का अपराध
बटला हाउस मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई गई है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी का अपराध मानते हुए यह सजा सुनाई है.
नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को बटला हाउस मामले में फांसी की सजा सुनाई है. बता दें कि 8 मार्च को अदालत ने इस मामले में आरिज खान को दोषी करार दिया था. इतना ही नहीं कोर्ट ने आतंकी आरिज पर 11 लाख का जुर्माना भी लगाया है. जिसमें से 10 लाख शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिए जाएंगे और 1 लाख सरकारी खजाने में जमा किए जाएंगे. अदालत ने कहा कि ये पूरा जुर्माना आरिज से ही वसूला जाए.
आरिज खान को फांसी की सजा सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ए टी अंसारी ने बताया कि "फाइनली आज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा जो हमारे एक बहादुर ऑफिसर थे उनको और उनकी फैमिली को आज न्याय मिला. कोर्ट ने प्रॉसीक्यूशन को स्वीकारा और कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा की यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की कैटेगरी में आता है, जिसमें पनिशमेंट फांसी की सजा हो सकती है और फाइनली कोर्ट ने कनविक्ट को फांसी की सजा दी.'
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 'हेड कांस्टेबल बलवंत सिंह और राजवीर दोनों के लिए 307 का चार्ज लगाया था कोर्ट ने उसमें उम्र कैद की सजा दी है. इसके अलावा बाकी सेक्शंस में जिसमें सरकारी काम में बाधा पहुंचाने की बात थी और पुलिस वालों को घायल करने की बात थी, उसमें भी कोर्ट ने सब को स्वीकारा है और सजा दी है. सजा का प्रावधान रखते हुए 11 लाख का फाइन लगाया है. 11 लाख में से 10 लाख रुपए इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की फैमिली को दिया जाएंगे और 1 लाख सरकार के पास रहेंगे.
कोर्ट ने माना रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी का अपराध दरअसल पुलिस की तरफ से अदालत में दलील देते हुए सबसे पहले सरकारी वकील ने कहा कि 'आरिज खान को फांसी की सजा दी जाए. क्योंकि उसका अपराध रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है. उसने ड्यूटी पर एक पुलिसकर्मी की हत्या की थी. आरिज कोई मामूली अपराधी नहीं है. उसका दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश में हुए ब्लास्ट के मामले में भी रोल रहा है. उसे अपने किए का कोई पछतावा नहीं है.'
इसके बाद आरिज के वकील की तरफ से दलील देते हुए उसके वकील ने उसकी कम उम्र का हवाला देते हुए सजा में रियायत की मांग की. आरिज के वकील ने कहा कि 'इसी मामले के सहआरोपी शहजाद को उम्रकैद की सजा हुई है. लिहाजा, एक ही अपराध के लिए आरिज को फांसी की सजा नहीं हो सकती.'
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा सुनाई. आपको बता दें कि बटला हाउस एनकाउंटर के समय आरिफ खान फरार हो गया था. साल 2018 में उसे भारत नेपाल बॉर्डर के पास से गिरफ्तार किया गया.
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