IMA प्रेसिडेंट राजन शर्मा ने पूछा- क्या केंद्रीय मंत्री को कोरोना हो जाए तो आयुर्वेद से कराएंगे इलाज?
क्या कोरोना से निपटने में आयुर्वेद पूरी तरह सक्षम है. स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय ने कोरोना से निपटने के लिए आयुर्वेद आधारित राष्ट्रीय क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल बनाया है. इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. राजन शर्मा ने कई सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली. स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय की तरफ से कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी करने को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिख कई सवाल खड़े किए हैं. इससे जुड़े साइंटिफिक एविडेंस और डिटेल भी मांगे हैं.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने यहां तक कहा कि क्या आगे कोई केंद्रीय मंत्री अगर कोरोना पॉजिटिव होते हैं तो वो मॉडर्न मेडिसिन की बजाय आयुष और आयुर्वेद से इलाज कराएंगे. इस बारे में एबीपी न्यूज से खास बात की आईएमए के अध्यक्ष डॉ राजन ने.
सवाल- आपने कई सवाल चिट्ठी लिखकर खड़े किए, क्या वजह है आखिर क्यों? जब मैं कोविड-19 के बारे में बात करता हूं तो उसे लेकर आयुर्वेद के बारे में जो भी कहा गया है उससे हैरान हूं. आयुर्वेद अपनी जगह बनाना चाहता है. बनाए, लेकिन इसे देश की जनता के सामने वैकल्पिक तौर पर बताया जा रहा है कि ये ऑप्शन है कोविड-19 के ट्रीटमेंट का. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जो खुद मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर हैं, जब इस बात को कह रहे हैं तो मैं उनसे एक बात का सीधा जवाब चाहता हूं कि अगर वो आयुष से और आयुर्वेद से इतने संतुष्ट हैं तो पूरी कोविड-19 मैनेजमेंट को आयुष को दे देना चाहिए.
आज अगर कोविड-19 मृत्यु दर कम है तो वो मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर के कारण है. साइंटिफिक मैनेजमेंट के कारण है. साइंटिफिक तरीक से आप जो बात करना चाहते हैं कीजिए. अगर आप संतुष्ट हैं आयुष मिनिस्ट्री और आयुर्वेद से तो एक एफिडेविट दे दीजिए कि कल को अगर उनको ऐसा कुछ होता है तो उसका इलाज मॉडर्न मेडिसिन से नहीं कराएंगे.
सवाल- आपत्ति आखिर क्या है आपकी? मैं अपनी जनता के लिए चिंतित हूं. अगर इस देश का स्वास्थ्य मंत्रालय ऐसी बातें करेगा तो आम जनता भ्रमित होकर वही करना शुरू कर देगी. आपने काढ़ा, चवनप्राश जो भी कहा लोग कर रहे हैं. लेकिन, आप जनता को ये ऑप्शन बिना साइंटिफिक ट्रायल के डबल कंट्रोल स्टडी के बिना बता रहे हैं, तो ये जनता के स्वास्थ्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है.
सवाल- क्या आप कह रहे हैं कि जो रिसर्च है उसको सार्वजनिक किया जाए? मैं डॉक्टर की मौत से लेकर अब तक हर आंकड़ा मांगता हूं. अगर आप इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के, हमारे संगठन के इतिहास में जाएं तो हमारा स्वतंत्रता संग्राम से नाता है. आईएमए हमेशा अपना एक नैतिक दायित्व समझती है, जब देश के स्वास्थ्य के बारे में कोई बात आए तो आईएम मुखर आवाज के रूप में सामने आती है.